पेंशन नियामक को एक सलाहकार ने सलाह दी है कि साल के अंत तक पेश होने वाली प्रस्तावित न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल योजना (पेंशन योजना) में 2 से 7 फीसदी मुनाफा दिया जा सकता है।
सरकारी सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि योजना में प्रतिफल की दर पेश होने वाले उत्पादों पर निर्भर होगी। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के सलाहकार ईऐंडवाई एक्च्युरियल सर्विसेस एलएलपी ने नियामक को न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल योजना के लिए कुछ परिदृश्य भी सुझाए हैं।
सूत्रों ने बताया कि परिदृश्य में क्या वे एकल प्रीमियम हैं या नियमित, क्या वे निश्चित गारंटी वाले हैं या अनिश्चित, क्या उसकी गारंटी ब्याज दर से जुड़ी है, ब्याज दर की गति और क्या वे निफ्टी सूचकांक से जुड़े हैं, आदि शामिल हैं।
पीएफआरडीए द्वारा गठित एक संपत्ति सलाहकार के सुझावों पर अगले महीने चर्चा करेगी और नियामक को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उसके बाद पीएफआरडीए का बोर्ड मंजूरी के लिए रिपोर्ट पर विचार करेगा।
जहां 2 प्रतिशत प्रतिफल सबसे कम लगता है, वहीं राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) द्वारा दिए जाने वाले प्रतिफल से तुलना करने पर 7 प्रतिशत मुनाफा खराब नहीं है। उदाहरण के लिए एनपीएस योजना ए (टियर-1) इस साल जुलाई तक अपनी स्थापना के पांच-छह वर्षों से 7 अलग-अलग पेंशन फंड प्रबंधकों द्वारा 6.59 फीसदी से 9.71 फीसदी तक प्रतिफल दे रही है। यह बचत मुख्यतः सेवानिवृत्ति बचत के लिए हैं जहां ग्राहक ने खाता खोलने के दौरान कम से कम 500 रुपये जमा किए थे। इस योजना के तहत ग्राहक सेवानिवृत्ति के बाद 60 फीसदी तक अपने कुल जमा रकम की निकासी कर सकता है। शेष 40 फीसदी रकम का इस्तेमाल मासिक पेंशन के भुगतान में होगा।
वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की पेंशन योजना ने इस साल जुलाई तक पेंशन फंड प्रबंधक की स्थापना के 14 वर्षों में 9.34 फीसदी से 9.59 फीसदी रिटर्न दिया है। मुनाफे की गारंटी वाले उत्पादों पर मुनाफा अन्य उत्पादों की तुलना कम होना चाहिए, क्योंकि निवेश किए गए फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य बाजार के व्यवहार के आधार पर बदलता रहता है।
एक सूत्र ने बताया, ‘अगर आप मुनाफे की गारंटी वाले उत्पाद चाहते हैं, तो आपको वह नहीं मिल सकता जो आपको अन्य उत्पाद पर मिल रहा है। यह उम्मीद करना भी गलत है।’
पीएफआरडीए अधिनियम न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल योजना की बात तो करता है, लेकिन 2013 में कानून बनने के 9 साल बीत जाने के बाद भी इसे शुरू नहीं किया जा सका है। इससे पहले 1 जनवरी, 2004 से अंतरिम पेंशन नियामक के तौर पर एनपीएस था। इस अधिनियम में इन उत्पादों को 2013-14 के अंत तक रखने की व्यवस्था की गई है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने पीएफआरडीए अधिनियम के अनुपालन में ऐसी योजना पेश नहीं करने पर पीएफआरडीए की आलोचना की है।