वैश्विक वित्त्तीय सेवा प्रदान करने वाली फर्म स्टैनचार्ट का मानना है कि अगर महंगाई का दबाव इसी प्रकार बरकरार रहा तो रिजर्व बैंक को वित्त्तीय वर्ष 2009 में सीआरआर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
इसके अलावा रिजर्व बैंक को रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में भी एक फीसदी की बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। स्टैनचार्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बढ़ती महंगाई से भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा प्रावधानों पर दबाव पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में सीआरआर में 0.75 फीसदी वृध्दि की आशंका व्यक्त की गई है।
गौरतलब है कि बढ़ती महंगाई पर लगाम कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने दो चरणों में सीआरआर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है जबकि रेपो रेट में महज 0.25 फीसदी का इजाफा किया गया है। रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अच्छे मॉनसून की संभावना होने के बावजूद महंगाई के वर्तमान वित्त्तीय वर्ष में 9.2 फीसदी के करीब रहने की संभावना है। पहले स्टैनचार्ट ने वित्तीय वर्ष 2008-09 केलिए 8.72 फीसदी महंगाई दर की संभावना व्यक्त की थी।
तेल उत्पादों पर जारी करों की छूट,ऑयल बांड की उपलब्धता को बरकरार रखने के लिए दी गई धनराशि और रसायनों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी से सरकार के वित्त्तीय संतुलन पर दबाव पड़ेगा। इससे सरकार का राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद से 6.5 फीसदी ज्यादा रहने की संभावना है। जबकि बजट में सिर्फ 2.5 फीसदी घाटे की उम्मीद लगाई गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऊंचे राजस्व घाटे से न सिर्फ निजी निवेश पर फर्क पड़ेगा बल्कि महंगाई भी लगातार बढ़ती जाएगी।
गौरतलब है कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचने के साथ भारत में महंगाई की दर अपनी 13 सालों की उच्चतम ऊंचाई 11.5 फीसदी पर पहुंच गई। चिंता की बात तो यह है कि इस महंगाई के थमने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं। हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कारपोरेशन ने हाल में भी भारत में महंगाई दर के इस साल केअंत तक 15 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की थी।