विनीत नायर ने नई रणनीति और विकास के बारे में कीर्तिका सुनेजा से बातचीत की।
नए बाजार की तलाश की अपनी रणनीति पर आप कैसे काम कर रहे हैं?
आईटी उद्योग आउटसोर्सिंग की राह पर चलते-चलते काफी आगे निकल गया है। मौजूदा आर्थिक हालात के मद्देनजर अब नई पीढ़ी की रणनीति की दरकार है। हम ऐसा नहीं कहते कि यह नई रणनीति तुरंत बना ली जाएगी। इसकी घोषणा होने में कई साल लग सकते हैं। लेकिन नई पीढ़ी की रणनीति को लेकर इस साल जून या जुलाई में हम कुछ घोषणाएं जरूर करेंगे।
आपके हिसाब से नए बाजार क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
अभी हम दूरसंचार, बीएफएसआई, रिटेल आदि क्षेत्रों की तरह इसका वर्गीकरण नहीं कर सकते हैं, लेकिन इसे रक्षात्मक, आक्रामक और मंदन की श्रेणी में जरूर बांट सकते हैं। रक्षात्मक श्रेणी में हेल्थकेयर, यूटिलिटी और सरकारी क्षेत्र आ सकते हैं, जबकि आक्रामक श्रेणी में मीडिया और पब्लिशिंग हाउस आ सकते हैं।
दूसरी तरफ मंदन की श्रेणी में वे क्षेत्र आ सकते हैं, जहां अभी फिर से विकास हो रहा है। हमलोग रक्षात्मक और आक्रामक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
क्या इन नए क्षेत्रों में अधिग्रहण की संभावना है?
हां। आउटसोर्सिंग की नई तरंग में क्लाउड कंप्यूटिंग, यूटिलिटी स्पेस, ऑन डिमांड सर्विसेज, सेवा के तौर पर सॉफ्टवेयर आदि शामिल हैं। इनके अधिग्रहण को हम बाजार या भौगोलिक विस्तार के रूप में नहीं देखेंगे। लेकिन एक्सॉन जैसे अधिग्रहण को मूल्य आधारित अधिग्रहण की श्रेणी में रख सकते हैं।
दूरस्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रबंधन, इंजीनियरिंग सेवा और इंटरप्राइजेज एप्लिकेशन आदि के क्षेत्र में मूल्य आधारित अधिग्रहण ही संभव है। हमलोग लक्ष्य का निर्धारण कर रहे हैं, लेकिन एपीएसी में अधिग्रहण नहीं होगा।
एचसीएल के कर्मचारी मंदी का दबाव कैसे झेल रहे हैं?
एचसीएल के कर्मचारी इस बात को जानते हैं कि किसी तरह का दबाव एक उपयुक्त माहौल में होगा। कर्मचारी, कंपनी और ग्राहकों के बीच विश्वास का बंधन काफी मजबूत है।
महिंद्रा और सत्यम की नई जोड़ी क्या मायने रखती है?
टेक महिंद्रा और सत्यम दोनों बेहतरीन कंपनियां हैं और ये सफल भी होंगे। हालांकि हमारी टक्कर इन दोनों कंपनियों में से किसी के साथ नहीं है। इस गठजोड़ की वजह से हमारे ग्राहकों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
