अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह ने बुधवार को कहा कि उसने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल)खरीदने के लिए अभिरुचि पत्र प्रस्तुत किया है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘बीपीसीएल के लिए वेदांत का अभिरुचि पत्र हमारे मौजूदा तेल एवं गैस कारोबार के साथ संभावित तालमेल का मूल्यांकन करता है। अभिरुचि पत्र फिलहाल प्रारंभिक चरण में है और इस पर आगे काम किया जा रहा है।’ बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया के लिए कम से कम 3-4 कंपनियों ने अभिरुचि पत्र जमा किए हैं। इसके लिए सोमवार की समयसीमा तय की गई थी हालांकि सरकार ने अभी आधिकारिक तौर पर कोई नाम नहीं बताया है।
दिसंबर 2011 में केयर्न इंडिया को खरीदने के बाद से वेदांता नए कारोबारी क्षेत्र में कदम रख रही है। कंपनी ने सोने के खनन में भी हाथ आजमाया। इसने एक संकल्प योजना के तहत इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड (ईएसएल) का नियंत्रण हासिल किया, जिसने 2018 में इस्पात क्षेत्र में कदम रखा गया। हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि हाल ही में गैर-सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया के विफल होने और कथित तौर पर 1,25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज तले दबी कंपनी के साथ बीपीसीएल का अधिग्रहण वेदांता के लिए आसान नहीं होगा।
रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल के अनुसार, विफल डीलिस्टिंग प्रक्रिया ने मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के लिए पुनर्वित्त विकल्प को सीमित कर दिया है, जिससे कंपनी की अगले 12 महीनों से ज्यादा समय के लिए अपने ऋण को निरंतर सेवा देने की क्षमता पर जोखिम बढ़ जाता है। वेदांता लिमिटेड का शेयर बुधवार को 1.4 प्रतिशत बढ़कर 108.85 रुपये पर था। बीपीसीएल की बोली में दो चरण शामिल हैं, अभिरुचि पत्र देने के चरण में योग्य बोलीदाताओं की एक भागीदारी और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां 10 अरब डॉलर से अधिक की शुद्ध परिसंपत्ति वाली कोई भी निजी कंपनी या अधिकतम 4 कंपनियों का संघ बोली लगाने के लिए पात्र होगा।
