सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी), सिग्नेचर बैंक और क्रेडिट सुइस का हाल का पतन दुनिया के सामने आने की वजह से सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) क्षेत्र की प्रमुख जोहो कॉरपोरेशन के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी श्रीधर वेम्बु का मानना है कि मौजूदा वैश्विक मंदी अब भी शुरुआती चरण की है तथा सास उद्योग और जोहो के मामले में यह ‘सावधानी का समय है, न कि विस्तार का।’
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ विशेष बातचीत में वेम्बु ने कहा कि उद्योग को दो बड़ी चीजों के बारे में चिंता करनी चाहिए – मौजूदा वैश्विक वित्तीय स्थिति और कृत्रिम मेधा (एआई) का विकास। वेम्बु ने कहा कि अब दो बड़ी चीजें हैं – एक वैश्विक स्थिति, जिसमें एसवीबी और क्रेडिट सुइस की विफलता शामिल है। ये सब एक तरफ हैं और दूसरा है कि एआई का विकास हो रहा है। हमें ये सब खपाने के लिए समय निकालना होगा।
उन्होंने कहा कि देखें, भविष्य के कारोबार की रूपरेखा क्या है। हम दो बड़े संकटों से निकले हैं – वर्ष 2001 में डॉटकॉम का बैठना और वर्ष 2007-09 में वैश्विक वित्तीय संकट। अनुभव बताता है कि अब यह सावधानी बरतने का समय है, विस्तार का नहीं।
यह पूछने पर कि वैश्विक संकट का भारत पर क्या असर हो सकता है, वेम्बु ने कहा कि यह मंदी काफी नई है। मुझे नहीं लगता कि हमने अभी तक बहुत कुछ देखा है। विस्तार के संबंध में वेम्बु की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब पिछले छह महीने के दौरान कंपनी ने तिरुपुर और त्रिची में दो ‘हब’ कार्यालय खोले हैं और तमिलनाडु के तिरुनेलवेली और मदुरै जिलों में तथा साथ ही एक कार्यालय उत्तर प्रदेश में खोलने की योजना है।
भारत में उद्योग में हालिया छंटनी के बारे में जोहो के संस्थापक ने कहा कि कई वर्षों से सिलिकन वैली वाले रुख के बाद भारतीय बाजार में भी इसकी संभावना थी। सिलिकन वैली के लोग आम तौर पर छंटनी करते थे। उद्योग में 15-20 साल से काम करने वाले हर शख्स की कम से कम तीन से चार बार छंटनी की गई होगी। भारत में हम इस अवधारणा के आदी नहीं हैं। इसलिए जब यह यहां आया तो लोग चौंक गए।