अल्ट्राटेक के हाथों बिनानी सीमेंट बेचकर अधिकतम मूल्य हासिल करने के अपने पिछले अनुभव को देखते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) के लिए एक बार और बोलियां मंगाने का निर्णय किया है। एसबीआई का मानना है कि इसके जरिये वह डीएचएफएल के लिए अधिकतम मूल्य हासिल कर पाएगी, जैसा कि बिनानी सीमेंट के मामले में हुआ था।
सूत्रों के अनुसार एसबीआई के प्रतिनिधि ने ऋणदाता समिति की बैठक में कहा कि अब तक मिलीं सभी बोलियों को खोला जाए और अंतिम चरण की बोली भी मंगाई जानी चाहिए। हालांकि यह ऋणदाता की समिति में मतदान से मंजूरी पर निर्भर करेगा। एसबीआई को डीएचएफएल में सबसे ज्यादा 10,000 करोड़ रुपये फंसा हुआ है। बिनानी सीमेंट के दिवालिया प्रक्रिया मामले में देर से सही लेकिन आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक ने बेहतर बोली लगाई थी, जिसे न केवल ऋणदाताओं ने स्वीकार किया था बल्कि उच्चतम न्यायालय ने भी उस निर्णय को सही ठहराया था।
डीएचएफएल मामले में प्रक्रिया अभी चल रही है और बोलीदाताओं की पेशकश पर बातचीत हो रही है लेकिन परिसमापन मूल्य का अभी आकलन नहीं किया गया है।
ऋणदाता की समिति की बैठक के ब्योरे के अनुसार एसबीआई के प्रतिनिधि ने कहा कि पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने की जरूरत है और दोनों चरणों की बोलियों को एक के बाद एक खोलनी चाहिए। समिति 10 दिसंबर तक सभी बोलीदाताओं से नई बोलियां मंगा सकती है।
डीएचएफएल की संपत्तियों के लिए चार कंपनियों ने बोलियां लगाई हैं। इनमें अदाणी समूह और ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए जबकि पीरामल ने रिटेल पोर्टफोलियो तथा एससी लॉरी ने थोक पोर्टफोलियो के बोली लगाई है।
अदाणी समूह को तीसरे चरण में बोली लगाने की अनुमति नहीं मिलने के बाद उसने आरबीआई प्रशासक को पत्र लिखकर कहा कि वह डीएचएफएल की संपत्तियों में और पैसा लगाने के लिए तैयार है। अदाणी ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं ने सांठगांठ कर अधिकतम मूल्य हासिल करने से रोक रहे हैं। अदाणी ने पहले केवल थोक पोर्टफोलियो के बोली लगाई थी और बाद में उसने पूरी कंपनी के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराया था। पत्र में कहा गया था कि नियम के अनुसार बोलीदाता किसी भी समय बोली सौंप सकता है और ऋणदाताओं को अधिकतम मूल्य हासिल करने का प्रयास करना चाहिए, इसके बावजूद अदाणी को बोली लगाने की अनुमति नहीं दी गई।
अदाणी समूह ने कहा था कि वह अपनी पेशकश को बढ़ाकर 11,000 करोड़ रुपये अग्रिम नकद और 19,000 करोड़ रुपये का भुगतान ब्याज के साथ करने की पेशकश कर रही है।
पीरामल ने केवल रिटेल पोर्टफोलियो के लिए 25,000 करोड़ रुपये की सशर्त बोली लगाई है। ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है लेकिन भुगतान किस्तों में करने की बात कही है।
अदाणी, पीरामल और ओकट्री के प्रवक्ताओं ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। आरबीआई प्रशासक को भेजे गए ईमेल का भी कोई जवाब नहीं आया। नई बोलियां मंगाने के लिए ऋणदाताओं की समिति में शनिवार को निर्णय हो सकता है।
