कोविड-19 से बचाव का टीका तैयार होने की उम्मीद लगातार बढ़ रही है तो सिरिंज और कांच के वायल (तरल पदार्थ रखने के लिए कांच से बनी छोटी शीशी) की उपलब्धता पर भी चर्चा तेज हो गई है। अगर अगले साल की शुरुआत तक कोविड-19 का टीका तैयार हो गया तो सिरिंज और वायल की मांग एकाएक बढ़ जाएगी। यह भांपकर सिरिंज बनाने वाली कंपनियां भी अपनी उत्पादन क्षमता में तेजी से इजाफा कर रही हैं। मगर उनका कहना है कि साल की दूसरी छमाही में सिरिंज की उपलब्धता कम हो सकती है क्योंकि देश से बाहर से भी इनके लिए ऑर्डर बढऩे लगेंगे।
आजकल आम तौर वे सिरिंज इस्तेमाल होते हैं, जो एक बार इस्तेमाल के बाद खुद ही बेकार हो जाते हैं। इन्हें ऑटो डिसेबल (एडी) सिरिंज कहा जाता है। भारत में हर साल 0.5 मिलीलीटर के 1.08 अरब एडी सिरिंज तैयार हो सकते हैं। देश में सिरिंज बनाने वाली तीन प्रमुख कंपनियों में हिंदुस्तान सिरिंजेस ऐंड मेडिकल डिवाइस (एचएमडी) सालाना 72 करोड़, इस्कॉन सर्जिकल्स 18 करोड़ और बेक्टॉन डिकिन्सन 18 करोड़ सिरिंज बना सकती हैं और वे 2021 के मध्य तक सालाना क्षमता बढ़ाकर 1.42 अरब तक करना चाहती हैं। इनमें करीब आधा हिस्सा देश से बाहर चला जाएगा। इस तरह देश में करीब 86 करोड़ सिरिंज ही मिल पाएंगे।
देश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए कई चरणों में टीकाकरण अभियान चलेगा। पहले चरण में 30 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों का टीकाकरण होगा। जुलाई 2021 तक करीब 25 करोड़ लोगों को टीका लगाए जाने की योजना है। हर किसी को दो बार टीके लगाए जाएंगे यानी दो सिरिंज की जरूरत होगी। इस तरह अगले साल जुलाई तक कोविड-19 के टीकों में ही 50 करोड़ सिरिंज इस्तेमाल हो जाएंगे। पहले से लग रहे दूसरे टीकों के लिए अलग से सिरिंज की जरूरत होगी। सरकार देश में करीब 2.4 करोड़ बच्चों को टीके लगाने के लिए हर साल 30 करोड़ सिरिंज खरीदती है। इस साल अभी तक केवल 15-20 करोड़ सिरिंज ही खरीदे गए हैं। सूत्रों के अनुसार एचएमडी के पास 7 करोड़ और इस्कॉन के पास 1.7 करोड़ सिरिंज ही बचे हैं। सिरिंज उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि सरकार के पास इस समय 15 करोड़ सिरिंज हैं और करीब 10 करोड़ सिरिंज कंपनियों के पास पड़ी हैं। दोनों को मिलाकर 25 करोड़ सिरिंज हैं और कोविड-19 टीकाकरण का पहला चरण उनसे पूरा हो सकता है क्योंकि उसमें करीब 12 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य है। शायद यही वजह है कि सरकार ने अभी तक सिरिंज के अतिरिक्त ऑर्डर नहीं दिए हैं और न ही संकेत दिया है कि कितने सिरिंज की जरूरत पड़ सकती है।
उधर सिरिंज बनाने वाली कंपनियां मांग के गणित से माथापच्ची कर रही हैं। उन्हें लगता है कि सरकार को जुलाई तक 50 करोड़ सिरिंज की जरूरत होगी। पहले से चल रहे टीकाकरण अभियान के लिए 30 करोड़ सिरिंज अलग से खरीदे जाएंगे। जुलाई के बाद कोविड-19 टीके के लिए अतिरिक्त सिरिंज मांगे जाएंगे। ऐसे में सिरिंज की खासी कमी हो सकती है क्योंकि विदेश से आने वाले ऑर्डर भी पूरे करने होंगे। एचएमडी के प्रबंध निदेशक राजीव नाथ ने कहा, ‘मार्च तक स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सिरिंज की जो मांग आ सकती है, उसका अंदाजा लगाकर ही हम सिरिंज तैयार कर रहे हैं। यह काम दिसंबर तक पूरा हो जाएगा और उसके बाद हम अपने जोखिम पर उसका स्टॉक रखेंगे। जनवरी में अगर सरकार को अचानक कोविड-19 टीके के लिए सिरिंज की जरूरत पड़ गई तो फौरन उत्पादन के लिए हमारे पास क्षमता मौजूद रहेगी। अगर सरकार ने नहीं मांगा तो पूरा स्टॉक यूनिसेफ को दे देंगे।’ एचएमडी सिरिंज उत्पादन क्षमता में इजाफा कर रही है। कंपनी 72 करोड़ सिरिंज की अपनी वर्तमान क्षमता को साल के अंत तक बढ़ाकर 80 करोड़ और अगले साल जून तक 1 अरब करना चाहती है।
एचएमडी के प्रबंध निदेशक राजीव नाथ ने कहा, ‘अगर ठीकठाक ठेके आ गए तो हम क्षमता बढ़ाकर 1.5 अरब सिरिंज तक पहुंचा सकते हैं।’ एचएमडी को करीब 14 करोड़ सिरिंज कोवैक्स (दुनिया के विभिन्न देशों तक टीका पहुंचाने के लिए शुरू की गई पहल ) के पास पहुंचानी हैं। कंपनी 5.6 करोड़ सिरिंज पहले ही भेज चुकी है और 2.8 करोड़ सिरिंज भेजने के लिए तैयार कर ली गई हैं। नाथ ने कहा कि टीके विमान से भेजे जाते हैं मगर सिरिंज समुद्र के रास्ते जाते हैं। अगर कहीं बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान की योजना बनती है तो सिरिंज निर्धारित तिथि से कम से कम तीन महीने पहले भेजने पड़ते हैं।
बेक्टन डिकिंसन (भारत और दक्षिण एशिया) के प्रबंध निदेशक पवन मोचेरला ने कहा, ‘कई देशों और यूनिसेफ तथा गावी जैसी संस्थाओं ने पहले ही हमें कोविड टीके के लिए सिरिंज के ठेके दे दिए हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अभी तक अपनी जरूरत का कोई संकेत नहीं दिया है। सिरिंज निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए योजना बनाने में सार्वजनिक और निजी टीकाकरण की सीमा या मात्रा भी देखनी पड़ती है क्योंकि सरकार एडी सिरिंज इस्तेमाल करती है और निजी बाजार में आम तौर पर डिस्पोजेबल सिरिंज का प्रयोग होता है। नाथ कहते हैं, ‘1.3 अरब की आबादी में 70 फीसदी को टीका लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि 90 करोड़ लोगों को टीका लगाना होगा, जिसके लिए 1.8 अरब सिरिंज की जरूरत होगी। अगर टीका केवल सरकार ही लगाएगी तो सभी एडी सिरिंज होंगे। अगर सरकार 60 फीसदी और निजी क्षेत्र 40 फीसदी टीके लगाते हैं तो करीब 80 करोड़ सिरिंज डिस्पोजेबल होंगे। हमारे लिए यह तस्वीर जल्द साफ होना जरूरी है।’ जहां तक वायल या कांच की उन शीशियों की बात है, जिनमें टीके रखे जाते हैं तो उस क्षेत्र के प्रमुख खिलाडिय़ों में पीरामल ग्लास, शॉट कैशा, बोरोसिल और गेरेशाइमर इंडिया शामिल हैं। गेरेशाइमर इंडिया ने संकेत दिया है कि वह 2021 के अंत तक मोल्डेड वायल के लिए क्षमता दोगुनी और 2020 के अंत तक ट्यूब वाले वायल की क्षमता तीन गुनी करेगी। मोल्डेड वायल सस्ते होते हैं और उनका इस्तेमाल अलग-अलग खुराकों के लिए भी किया जा सकता है।
