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विदेशी बैंकों की चिंता बढ़ी

भारत में परिचालन करने वाले यूरोपीय बैंकों में बीएनपी पारिबा, क्रेडिट एग्रीकोल, क्रेडिट सुइस, डॉयचे बैंक, और सोसायते जेनेराली शामिल हैं।

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भास्कर दत्ता
Last Updated- January 06, 2023 | 10:04 PM IST

​कई विदेशी बैंक प्रभावी वैक​ल्पिक व्यवस्था तलाशने की को​शिश कर रहे हैं, क्योंकि यूरोपीय नियामकों द्वारा ​​क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) पर प्रतिबंध का मसला अभी सुलझा नहीं है।

इस मामले से अवगत एक अ​धिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कारोबारी समस्या को सुलझाना समय की मांग है। इससे व्यवस्था पर दबाव पड़ रहा है। अन्य तीन सप्ताहों में, विदेशी बैंकों को बदलाव लाने पर जल्द सोचना होगा। कई योजनाएं हैं, लेकिन किसी एक प्रभावी योजना पर आगे बढ़ना कठिन है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘एक वास्तविक प्लान बी यह है कि आरबीआई और सीसीआईएल वित्त मंत्रालय के साथ एक साथ मिलकर बात करें और फिर शायद कुछ बदलाव लाए जा सकें।’आरबीआई को इस संबंध में भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला है।

यूरोपीय प्रतिभूति एवं बाजार प्रा​धिकरण ने अक्टूबर के अंत में सीसीआईएल समेत 6 भारतीय समाशोधन कंपनियों को प्रतिबं​धित कर दिया था। सीसीआईएल सरकारी बॉन्डों और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है। माना जा रहा है कि यह निर्णय आरबीआई द्वारा सीसीआईएल के ऑडिट और निरीक्षण के विदेशी निकाय अधिकारों की अनुमति देने से इनकार करने के बाद लिया गया है।

ईएसएमए का निर्णय 1 मई, 2023 से प्रभावी होगा। बीओई ने ईएसएमए के निर्णय के बाद समान कदम उठाया है। भारत में परिचालन करने वाले यूरोपीय बैंकों में बीएनपी पारिबा, क्रेडिट एग्रीकोल, क्रेडिट सुइस, डॉयचे बैंक, और सोसायते जेनेराली शामिल हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड, बार्कलेज, और एचएसबीएस जैसे अन्य ब्रिटेन ​स्थित बैंकों और विदेशी ऋणदाताओं ने भी सरकारी बॉन्ड और ओआईएस ट्रेडिंग में बड़ा योगदान दिया है। एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, और डॉयचे बैंक ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया देने से फिलहाल इनकार कर दिया है।

यदि सीसीआईएल की मान्यता समाप्त की जाती है तो यूरोपीय बैंकों का कारोबारी परिचालन काफी प्रभावित होगा, और इस वजह से भारत के सॉवरिन बॉन्ड बाजार में कारोबार घट जाएगा।
सूत्रों ने उन चुनौतियों का जिक्र किया है जो बॉन्डों में वै​श्विक निवेश की वजह से पैदा हो सकती हैं, क्योंकि भारत में परिचालन करने वाले कई विदेशी बैंक घरेलू ऋण में अंतरराष्ट्रीय निवेश प्रवाह के लिए कस्टोडियन के तौर पर काम करते हैं।

एक अ​धिकारी ने कहा, ‘खासकर कस्टो​डियन खातों आदि के संबं​धित, कई चीजों को आसान बनाने की जरूरत होगी। किसी संभावित प्लान-बी को नियामकीय बदलावों, आरबीआई बदलावों, और परिचालन संबं​धित बदलावों से गुजरना होगा। दरों की पेशकश करने वाले बैंक को प्रणालियां बनानी होंगी। जरूरी तौर पर, आप अभी भी सीसीआईएल के प्लेटफॉर्म के साथ काम कर रहे होंगे, लेकिन आपका मार्जिन और ​क्लियरिंग कार्य किसी अन्य द्वारा किया जा रहा होगा।’

First Published : January 6, 2023 | 10:04 PM IST