‘अनलॉकिंग’ प्रक्रिया के चार महीने और टीका विकसित होने की उम्मीद बढऩे के बीच, देश की सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनियां टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील अपने कार्य स्थल और कर्मियों के लिए नई नीतियां तैयार कर रही हैं।
टाटा स्टील की नई नीति नवंबर से प्रभावी हो रही है जिसमें कर्मचारियों को घर से और कार्यालय के कामकाजी घंटों के बीच चयन करने का मौका मिलेगा। दूसरी तरफ, जेएसडब्ल्यू स्टील भी अगले वित्त वर्ष से कार्यस्थल रणनीति पर विचार कर रही है।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टी वी नरेंद्रन ने कहा, ‘हम 1 नवंबर से कुछ नई नीतियों को लागू कर रहे हैं, जिन्हें हम एक साल तक आजमाएंगे। इससे लोगों को निर्णय लेने के बारे में काफी स्वायत्तता मिलेगी।’ हालांकि इस नीति के बारे में संपूर्ण जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
ज्यादा जरूरी कार्यों को छोड़कर, टाटा स्टील में कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। नरेंद्रन भी जरूरत पडऩे पर ही बीच बीच में कार्यालय जाते रहे हैं।
जेएसडब्ल्यू स्टील के लिए, रणनीतियों के समावेश पर जोर दिया गया है और जहां कुछ कर्मी कार्यालय जा रहे हैं, वहीं कुछ बारी बारी से जाते हैं, और अन्य लोग घर से काम करते हैं। हालांकि शीर्ष नेतृत्व – सज्जन जिंदल (चेयरमैन), शेषागिरि राव (संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी), जयंत आचार्य (निदेशक, वाणिज्यिक एवं विपणन) 1 जून से कार्यालय जा रहे हैं। राव ने कहा, ‘कंपनी के तौर पर हम लंबे समय तक लगातार वर्क-फ्रॉम-होम (डब्ल्यूएफएच) नीति पर अमल नहीं करना चाहेंगे। हम 1 अप्रैल से कार्य प्रणाली में बदलाव लाने की सोच रहे हैं।’
इस बदलाव में मुंबई कॉरपोरेट कार्यालय और पूरे देश में हब निर्माण में लगे लोगों की संख्या घटाने पर जोर रहेगा। इसलिए, एक ऐसा कमर्शियल हब बनाया जा सकता है जिसमें लोग एक लोकेशन से काम करें।
राव ने कहा, ‘बातचीत चल रही है, लेकिन हमें अभी अंतिम निर्णय लेना है। कर्मचारियों से मिली प्रतिक्रियाएं से भी यह संकेत मिला है कि वे कार्यालय आना चाहते हैं।’
इस संदर्भ में सिर्फ जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील ही अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं ला रही हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वेदांत और आदित्य बिड़ला समूह की कंपनियां भी अपनी नई कार्य नीतियों पर विचार कर रही हैं, लेकिन उन्होंने फिलहाल इस बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर वरल ठाकर ने कहा, ‘कंपनियों द्वारा अमल किए जा रहे कॉमन मॉडल में कई टीमें होंगी, वैकल्पिक तौर पर कार्यालय आने और घर से काम करने की व्यवस्था होगी।’
कई कंपनियां यह मान रही हैं कि डब्ल्यूएफएच उपयुक्त उत्पादकता हासिल करने के लिए स्थायी समाधान नहीं है।
राव का कहना है कि जेएसडब्ल्यू में लोग एक टीम के तौर पर काम करते हैं और इससे साझा उद्देश्य को ताकत मिलती है। उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूएफएच संस्कृति बड़ी तादाद में कर्मचारियों को एक साथ जोड़े रखने में सक्षम नहीं होगी।’ मुंबई में रियल एस्टेट महंगा है और वहां डिस्ट्रीब्यूटेड स्टे्रटेजी कारगर साबित नहीं हो सकती है।
गोल्ड ईटीएफ में 2,400 करोड़ रुपये निवेश
कोरोनावायरस महामारी के चलते निवेशक जोखिम भरे साधनों में निवेश करने से परहेज कर रहे हैं। इस कारण सितंबर तिमाही में स्वर्ण ईटीएफ में 2,400 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश हुआ है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान तिमाही में निवेशकों ने स्वर्ण ईटीएफ में 172 करोड़ रुपये लगाए थे। निवेशकों के लिए यह श्रेणी पूरे साल बढिय़ा प्रदर्शन कर रही है। भाषा
