टाटा समूह और दुबई का स्तिथमार ग्रुप सस्ती विमानन कंपनी स्पाइसजेट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं। दिल्ली की इस एयरलाइन की भारतीय विमानन बाजार में 10 फीसदी की भागीदारी है।
इस उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल टाटा समूह की इस एयरलाइन में इवार्ट इन्वेस्टमेंट के जरिये 7 फीसदी की भागीदारी है जिसे वह बढ़ा कर 15 फीसदी कर सकता है। वहीं स्तिथमार अपनी 13 फीसदी की हिस्सेदारी को बढ़ा कर 30 फीसदी कर सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि स्पाइसजेट विमानों की खरीद की योजना बना रही है और दोनों कंपनियों की ओर से हिस्सेदारी में इजाफा किए जाने से एयरलाइन को विमान खरीद के लिए पर्याप्त कोष जुटाने में मदद मिलेगी। कंपनी के अध्यक्ष सिद्धांत शर्मा ने हाल ही में कहा था कि कंपनी विमानों की खरीद के लिए तकरीबन 400 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।
स्पाइसजेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘दोनों कंपनियों ने हम से कहा था कि वे एयरलाइन की मदद करेंगी। इसका मतलब है कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाना और इसमें पूंजी लगाना।’ इस प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक टाटा समूह और स्तिथमार ने पिछले महीने शेयरधारकों की एक बैठक के दौरान स्पाइसजेट में हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई।
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि टाटा सूमह तकरीबन 110 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पूंजी प्रवाह के परिणामस्वरूप कंपनी में अतिरिक्त इक्विटी की संभावना तलाश रहा है। वहीं दूसरी तरफ स्तिथमार के पास 320 करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) हैं जिसे वह हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कन्वर्ट कर सकती है। यदि स्तिथमार दिसंबर 2005 में जारी किए गए इन बॉन्ड को भुनाती है तो उसे 120 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में प्राप्त होंगे। कुल मिला कर इससे उसे 440 करोड़ रुपये हासिल होंगे।
हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में स्पाइसजेट के ब्रिटेन स्थित प्रवर्तक-निदेशक भूपेन्द्र कंसागरा ने कहा था कि यदि उन्हें सही कीमत मिलती है तो वे 12.91 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को इच्छुक हैं। इस उद्योग के जानकारों के मुताबिक जेट एयरवेज और किंगफिशर समेत कई विमानन कंपनियां स्पाइसजेट के साथ विलय की संभावना तलाश रही हैं।
दूसरी विमानन कंपनियों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए स्पाइसजेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंसागरा अपनी हिस्सेदारी फिलहाल नहीं बेच सकते हैं। एयरलाइन टेक्सास पैसीफिक गु्रप (टीपीजी) जैसे हेज फंड हासिल करने के प्रयास में लगी हुई है।