मंदी का असर अब कई नए-नए सेक्टरों पर भी दिखाई देने लगा है। इसका नया शिकार बना है देश का सेमीकंडक्टर उद्योग। यह उद्योग अब 2010 तक 13.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 7.59 अरब डॉलर का ही हो पाएगा।
पहले उम्मीद थी कि अगले साल तक इसी विकास की रफ्तार 26.7 फीसदी की हो जाएगी। इंडिया सेमीकंडक्टर एसोसिएशन और फ्रास्ट एंड सुलीवैन की एक रिपोर्ट की मानें तो यह असर है 2008 की दूसरी छमाही में निवेश और उत्पादन की पतली हुई हालत का।
कई सेमीकंडक्टर की औसत कीमतों में 3-10 फीसदी तक की कमी आई है। कमी में अंतर उनकी बनावट और उनके आखिरी उत्पाद में इस्तेमाल के आधार पर आई है। इससे पहले 2007 में आई रिपोर्ट में मंदी के असर की कोई आशंका नहीं जताई गई थी।
हाल में आई रिपोर्ट का कहना है कि अब भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 2008 में बढ़कर 5.9 अरब डॉलर और 2010 में 7.59 अरब डॉलर का हो जाएगा। इस हिसाब से इस उद्योग की विकास की रफ्तार 13.4 फीसदी रहेगी।
बाजार में मौजूद सेमीकंडक्टरों से होने वाली कमाई के बारे में भी उम्मीद यही है कि यह 2008 में बढ़कर 2.53 अरब डॉलर का हो जाएगा, जबकि 2010 में 3.24 अरब डॉलर का हो जाएगा।