संपत्ति पुनर्गठन कंपनी को झटका

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:36 PM IST

करीब एक साल पहले गठित राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसीएल) को एक और झटका लगा है। सूत्रों ने कहा कि दो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)- पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) शेयरधारक के रूप में एनएआरसीएल में निवेश नहीं करेंगी।  एनएआरसीएल या बैड बैंक की स्थापना की घोषणा पिछले केंद्रीय बजट में की गई थी, जो अभी आकार ले रहा है। इसे गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को अपने अधीन लेने व उसके समाधान के मकसद से गठित किया गया था। इसके परिचालन के पहले चरण में एनएआरसीएल को 85 प्रतिशत से ज्यादा प्रॉविजनिंग वाली बुनियादी ढांचा संपत्तियों को लेना था।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बिजली मंत्रालय का कहना है कि पीएफसी या आरईसी द्वारा एनएआरसीएल में निवेश की कोई वजह नहीं दिखती क्योंकि यह बिजली क्षेत्र की संपत्तियों को नहीं ले रही है।
अधिकारी ने कहा कि कम से कम पहले चरण में जब एनएआरसीएल ऐसी परियोजनाओं को ले रही है, जिनका 85 प्रतिशत से ज्यादा प्रॉविजनिंग है, पीएफसी और आरईसी के निवेश का कोई तर्क नहीं बनता। परियोजनाओं की पहली सूची में बिजली की कोई संपत्तियां नहीं हैं, जिनका इतना ज्यादा प्रॉविजनिंग हो।
हालांकि उन्होंने कहा कि बाद में यह दोनों वित्तीय संस्थान एनएआरसीएल का हिस्सा बनने की संभावना तलाश सकते हैं।
पीएफसी से बैड बैंक का प्रायोजक बनने के लिए संपर्क साधा गया था, लेकिन उसने मना कर दिया। बाद में केनरा बैंक ने भी प्रायोजक बनने से इनकार कर दिया।
अब तक एनएआरसीएल में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक आफ इंडिया ने हिस्सेदारी ली है।
बहरहाल एनएआरसीएल के कामकाज शुरू करने में देरी हो रही है क्योंकि इसके ढांचे के बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया है।
 

First Published : January 27, 2022 | 11:24 PM IST