अगर आप 64 जीबी वाला आईफोन-11 खरीदने के लिए एमेजॉन की वेबसाइट पर जाएं, तो आपको यह 11,000 रुपये तक के एक्सचेंज ऑफर के साथ 49,999 रुपये का मिलेगा। यही फोन क्रोमा स्टोर पर एक्सचेंज के बाद बेस्ट प्राइस पर कैशबैक के बाद 48,900 रुपये में उपलब्ध है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ खास चीजों के अलावा पिछले वर्षों की तुलना में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली छूट में काफी कमी आ रही है। रेडसीर के अनुमान के अनुसार ई-कॉमर्स के सकल बिक्री मूल्य (जीएमवी) के लिहाज से सात अरब डॉलर की जोरदार बिक्री का अनुमान है, जबकि वर्ष 2019 की इसी अवधि के दौरान यह 3.8 अरब डॉलर थी।
विश्लेषकों का कहना है कि केवल दामों के अंतर की वजह से ही लोग इस त्योहारी सत्र के दौरान ऑफलाइन के मुकाबले ई-कॉमर्स को पसंद नहीं कर रहे हैं। इस वैश्विक महामारी ने लोगों द्वारा उत्पादों और सेवाओं की खरीद किए जाने के तरीकोंऔर ई-कॉमर्स के नजरिये को भी बदल दिया है। फॉररेस्टर के वरिष्ठ पूर्वानुमान विश्लेषक सतीश मीणा ने कहा कि ग्राहक आराम, सुविधा और सुरक्षा की वजह से भी ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं, न कि केवल छूट की वजह से ही।
फॉररेस्टर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर ऑनलाइन व्यय में 34 प्रतिशत का इजाफा होगा। खुदरा करोबारियों को इस साल के त्योहारी महीने (15 अक्टूबर से 15 नवंबर) के दौरान ऑनलाइन खरीद में भागीदारी करने वाले तकरीबन साढ़े पांच करोड़ से लेकर छह करोड़ खरीदारों की ओर से बिक्री में करीब 6.5 अरब डॉलर अर्जित होने की उम्मीद है।
संचार रणनीति सलाहकार कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा कि चूंकि लोगों को अब यह पता लग गया है कि ई-कॉमर्स खरीदारी कितनी सुविधाजनक है तथा इसमें कितना समय और मेहनत बच सकती है, इसलिए आने वाले सत्रों में भी इसका असर रहेगा।
खुदरा प्रबंधन कंपनी असिडुअस ग्लोबल की संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी सोमदत्त सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के मानकीकृत नियमों और ग्राहकों में बाहर जाने तथा खरीदारी के संबंध में लगातार बढ़ती झिझक ने भी लोगों का रुख ई-कॉमर्स की ओर कर दिया है। उन्होंने कहा कि एमेजॉन प्राइम डे ने जिस तरह बिना किसी हिचक के शुरुआत की, वह इस बात का स्पष्ट उदाहरण है। बिक्री बढ़कर 10.4 अरब डॉलर हो गई, जबकि वर्ष 2019 में यह 7.16 अरब डॉलर और वर्ष 2018 में 4.19 अरब डॉलर थी। फ्लिपकार्ट का कहना है कि ई-कॉमर्स की बिक्री केवल छूट की वजह से होने वाले इजाफे से काफी ज्यादा है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि अगर इंदौर में बैठा कोई व्यक्ति जारा के कपड़े या मेकअप की कोई खास सामग्री खरीदना चाहता है या गंगटोक में कोई व्यक्ति लोक सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कोई पुस्तक खरीदना चाहता है, तो वह खुदरा स्टोर के जरिये इन तक नहीं पहुंचेगा। ई-कॉमर्स ने चयन और एकरूपता की सुविधा प्रदान की है।
विविधता के लिहाज से भी ई-कॉमर्स की मांग बढ़ रही है। एक ऐसा ग्राहक जो पहले ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर केवल परिधान और इलेक्ट्रॉनिक्स की वस्तुओं की ही खरीदारी करता था, अब किराना सामग्री और घरेलू सामान की खरीदारी के लिए भी विचार करने लगा है। ऑनलाइन 80 प्रतिशत तक की छूट प्रदान करने वाले परिधान खंड के ऑफलाइन मूल्य में 30 से 35 प्रतिशत की गिरावट दिख रही। सामान्य रूप से पुरुषों के कपड़ों के मामले में 20 प्रतिशत उत्पादों पर लगभग 35 प्रतिशत छूट प्रदान की जाती है। अधिकांश खुदरा विके्रेता ऐसा ही कर रहे हैं। महिलाओं के परिधान के मामले में करीब 30 प्रतिशत उत्पाद 35 प्रतिशत की छूट पर बेचे जाते हैं। खुदरा विक्रेता यहां भी ऐसा ही कर रहे हैं। खुदरा उद्यमी और फैशन पेशेवर जयदीप शेट्टी का कहना है कि अधिकांश ब्रांडों के पास अपने डिजिटल चैनल या स्टोर हैं जहां छूट अधिक रहती है। इसका एक कारण यह है कि ट्रायल सुविधा की गैर-मौजूदगी में परिधानों के खुदरा विक्रेताओं के लिए यह छूट महत्त्वपूर्ण कारक होती है। लेकिन ऑफलाइन में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है, इसलिए छूट ज्यादा नहीं
होती है। देश के सबसे बड़े मूल्य शृंखला खुदरा विक्रेताओं में शुमार वी-मार्ट भी इस साल कम छूट दे रही है, क्योंकि ग्राहक जो भी खरीदना चाहते हैं, उसके लिए पहले से ही निर्धारित करके दुकानों में आ रहे हैं। वी-मार्ट के मुख्य वित्तीय अधिकारी आनंद अग्रवाल ने कहा कि इस साल विंडो शॉपिंग नहीं हो रही है और खरीदार गंभीर हैं, इसलिए उन्हें छूट के जरिये लुभाने की जरूरत नहीं है। सभी श्रेणियों में यही हाल है।
ऑफलाइन में भी छूट में कमी नजर आ रही है, खास तौर पर टिकाऊ वस्तुओं के संबंध में। चीनी वस्तुओं पर प्रतिबंध और अत्यधिक आयात शुल्क की वजह से उत्पादों की कमी है जिस कारण आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है और उत्पादों की कीमतों में इजाफा हुआ है।
क्रोमा, इनफिनिटी रिटेल लिमिटेड के मुख्य विपणन अधिकारी रितेश घोषाल ने कहा कि आपूर्ति पक्ष में कमी के कारण टिकाऊ और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतों में मजबूती आई है। जो भी छूट नजर आ रही है, उसे ज्यादातर बैंकों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। चाहे वह अधिक कैशबैक का मामला हो (क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर) या उपभोक्ताओं को समान मासिक किस्तों (ईएमआई) पर खरीद के लिए जोर देने का मामला। इस साल बैंक ही आक्रामक हैं।
थोक ब्रिकी वाले बी2बी प्लेटफॉर्म मेट्रो कैश ऐंड कैरी को भी पिछले एक महीने के दौरान टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में तेजी नजर आई है। पिछले साल के त्योहारी सत्र की तुलना में घरेलू और रसोई उपकरणों की बिक्री में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लोग अब भी घर से बाहर भोजन नहीं कर रहे हैं और घर में मनोरंजन की प्राथमिकता के साथ-साथ घर के भोजन की खपत भी अधिक है। इस वजह से बेंगलूरु स्थित इस कंपनी को माइक्रोवेव ओवन, रेफ्रिजरेटर तथा बड़े आकार के एलईडी पैनलों की मांग में तेजी दिख रही है।
