अमेरिकी बाजारों की खस्ता हालत, कीमतों के लगातार गिरने और चौथी तिमाही में मुनाफे पर जबरदस्त दबाव का असर इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज पर साफ दिख रहा है।
इसी वजह से कंपनी अब अपने कर्मचारियों की वैरिएबल पेमेंट को कम करने की योजना पर विचार कर रही है। कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि, ‘इन्फोसिस में वैरिएबल पेमेंट का सिस्टम है। इससे कर्मचारियों की तनख्वाह कंपनी के प्रदर्शन से जुड़ जाती है।
यह व्यवस्था पूरी तरह से कंपनी, यूनिट और कर्मचारी के अपने प्रदर्शन से जुड़ जाती है।’ प्रवक्ता के मुताबिक इस वजह से जब भी कंपनी अपने लक्ष्य से अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उन्हें मोटी सैलरी मिलती है। लेकिन जब कंपनी का प्रदर्शन आशा के मुताबिक नहीं रहता, तो इसका असर उन पर भी होता है।
कंपनी ने इस वित्त वर्ष में रुपये में होने वाली कमाई के लिए अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है, लेकिन डॉलर में होने वाली कमाई को लगातार दूसरी बार कम कर दिया है। हिंदुस्तान की यह दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता कंपनी के इतिहास में पहली बार उसकी डॉलर में होने वाली कमाई लक्ष्य से 3.7 फीसदी कम हुई है।
साथ ही, कंपनी पिछली तिमाही में 30 नए ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा तो है, लेकिन उसके कुल ग्राहकों की तादाद 583 रह गई। दूसरी तिमाही में इसके ग्राहकों की तादाद 586 थी। बाजार की खस्ता होती जा रही हालत की वजह से कंपनी की कीमतों और कर्मियों की उत्पादकता कम होती जा रही है।
इस वजह से नए प्रोजेक्ट्स मिलने की रफ्तार कम होती जा रही है और कुछ पुराने प्रोजेक्ट्स में भी कटौती करती जा रही है। वैसे, स्टैंडर्ड एंड पूअर्स की मानें तो इसका इन्फोसिस के पूंजी प्रवाह पर बहुत कम असर पड़ा है।
कंपनी को आशंका है कि कीमतों पर बढ़ते जा रहे दबाव और विदेशी मुद्रा विनिमय दर में हो रही उठा-पटक की वजह से चौथी तिमाही में उस पर काफी दबाव रहेगा। कंपनी पहले ही साफ कर चुकी है कि उसे आने वाले वक्त में कड़े मोल-भाव और प्रोजेक्ट्स में देरी से जूझना पड़ सकता है।
