‘मुनाफाखोरी की राशि किस्तों में जमा करे सैमसोनाइट’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:31 AM IST

ट्रैवल बैग बनाने और बेचने के कारोबार से जुड़ी कंपनी सैमसोनाइट इंडिया को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि वह कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में मुनाफाखोरी की गई राशि किस्तों में भुगतान करे।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला नजीर बन जाएगा और कंपनियों के लिए इस तरह की याचिका दायर करने की राह बनेगी।
न्यायालय ने सैमसोनाइट को अनुमति दे दी है कि वह मुनाफाखोरी की 2.181 करोड़ रुपये राशि बराबर की 6 मासिक किस्तों में केंद्र व राज्यों के उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करे।
आदेश में कहा गया है, ‘कोविड-19 महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए याचियों को निर्देश दिया जाता है कि वह मुुनाफे की 21,81,20,748 करोड़ रुपये राशि (25,73,82,482 रुपये में से 3,92,61,734 करोड़ रुपये घटाकर) बराबर की 6 मासिक किस्तों में जमा करे।’  जीएसटी परिषद द्वारा कर की दर दिसंबर 2017 में 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किए जाने के बाद कंपनी द्वारा उत्पाद के दाम न घटाने के कारण राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) ने सैमसोनाइट इंडिया पर 24.74 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया था।
कंपनी से कहा गया है कि ग्राहकों से पैसे लेने और मुनाफाखोरी की राशि जमा किए जाने की अवधि के दौरान इस राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज दर का भी भुगतान किया जाए।
एनएए ने सैमसोनाइट से कहा है कि वह आधी राशि 12.87 करोड़ रुपये केंद्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष में और आधी राशि 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के उपभोक्ता कल्याण कोषों में जमा कराए।
एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टरन रजत मोहन ने कहा कि यह याचिका अन्य कंपनियों के लिए नजीर बनेगी और वे भी संबंधित उच्च न्यायालय में जाकर राशि का भुगतान किस्तों में करने का अनुरोध कर सकती हैं।

First Published : July 22, 2020 | 12:20 AM IST