भंवर में फंसी सहारा को मिला कुछ सहारा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:01 AM IST

जनता से पैसा जमा करने पर लगी पांबदी से बौखलाई सहारा को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने फौरी तौर पर थोड़ा सहारा दे दिया है।


मामले की सुनवाई की अगली तारीख जुलाई के अंतिम सप्ताह में तय की गई है। तब तक के लिए आरबीआई की पाबंदी आदेश को स्थगित माना जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार से वित्तीय कंपनी सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन को पब्लिक डिपॉजिट के जरिए पैसा जमा करने पर पाबंदी लगा दी थी।

आरबीआई ने बताया था कि यह कदम जनहित में उठाया गया है। इसके खिलाफ सहारा ने कोर्ट में अपील की थी। जमा पर पाबंदी आदेश से कंपनी के देशभर के करीब 4.25 करोड़ जमाकर्ताओं में हड़कंप मच गया था। हालांकि कंपनी ने अपने ग्राहकों को आश्वस्त किया है कि उनका पैसा आरबीआई के नियमों के मुताबिक सुरक्षित है और परिपक्वता अवधि पूरा होते ही रकम वापस कर दी जाएगी।

सहारा इंडिया ने बताया कि आरबीआई से दिशा-निर्देशों की समय-सीमा में बदलाव की मांग की थी, जिस पर आरबीआई ने ध्यान नहीं दिया। सहारा इंडिया का मुख्यालय लखनऊ में है और राजनीतिक संपर्कों के चलते कंपनी खासी चर्चा में रही है।

सहारा से बे-सहारा होने का सबब

क्यों लगी पाबंदी

रिजर्व बैंक के मुताबिक, उसने सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईएफसीएल) पर प्रत्यक्ष निवेश, जमाकर्ताओं को न्यूनतम ब्याज दरों के भुगतान से जुड़े नियमों, जमाकर्ताओं की पहचान संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन और डिपॉजिट की परिपक्वता के बारे में जमाकर्ताओं को सही जानकारी नहीं देने की वजह से पाबंदी लगाई।

पहले भी उठी थी उंगली

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी को पहले भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था ।

क्या कहा था आरबीआई ने

18,000 करोड़ रुपये की देनदारी के चलते आरबीआई ने कंपनी को कहा था कि वह जमा स्वीकार न करे और अपनी तमाम सिक्यूरिटी रिजर्व बैंक को सौंपे।

क्या होगा बाकी कारोबार का 

कंपनी के जीवन बीमा, म्यूचुअल फंड, मनोरंजन, रियल एस्टेट आदि कारोबार पर असर नहीं पड़ेगा।

कितने हैं कर्मचारी-जमाकर्ता 

कंपनी में करीब 30,000 लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काम करते हैं, जबकि करीब 4.25 करोड़ जमाकर्ता हैं।

First Published : June 6, 2008 | 12:46 AM IST