नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी)-मुंबई ने आज रिलायंस इन्फ्राटेल के लिए समाधान योजना को स्वीकार किया, जिसमें उसकी टावर और फाइबर परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में लेनदारों की समिति (सीओसी) के सभी सदस्यों द्वारा इस साल मार्च में स्वीकृत योजना के तहत रिलायंस डिजिटल प्लेटफॉर्म इस सौदे के लिए करीब 3,720 करोड़ रुपये देगी। कंपनी दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए सबसे बड़ी बोलीदाता बनकर उभरी थी। रिलायंस जियो ने इस मामले पर प्रतिक्रिय देने से इनकार कर दिया है। इस पहल से जियो-बु्रकफील्ड टावर इनविट ‘टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट’ में अतिरिक्त 43,000 टावर जुड़ जाएंगे, जबकि उसके पास पहले से ही 175,000 टावर मौजूद हैं जिससे वह देश में सबसे बड़ी मोबाइल टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी बन जाएगी। उसकी बड़ी प्रतिस्पर्धी भारती इन्फ्राटेल-इंडस टावर्स विलय से बनी इकाई है जिसके टावरों की संख्या 172,000 है। टावर व्यवसाय में तीसरी सबसे बड़ी और स्वतंत्र ऑपरेटर अमेरिकन कॉरपोरेशन है जिसके टावरों की संख्या लगभग 70,000 है।
विश्लेषकों का कहना है कि 5जी पेशकश के लिए टावरों की संख्या दोगुना किए जाने की जरूरत होगी, और इससे उसे पट्टेदारी के लिए अवसर मिलेगा। मौजूदा समय में अंबानी इनविट के लिए मुख्य पट्टेदार जियो है।
इस सौदे से जियो, अबू धावी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ऐंड पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड द्वारा गठित इनविट में अन्य 172,000 किलोमीटर फाइबर भी जुड़ जाएगा, जो पहले से ही पूरे देश में 11 लाख किलोमीटर फाइबर ऑप्टिक केबल से संपन्न है।
अधिग्रहण से जियो को 3 करोड़ से ज्यादा परिवारों को घरेलू सेवाओं के लिए फाइबर सुविधा के दायरे में लाने की अपनी योजना पर तेजी से आगे बढऩे में मदद मिलेगी।
रिलायंस इन्फ्रा, आरकॉम की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। रिलायंस जियो की पेशकश और कीमत युद्घ के बाद कंपनी को 2017 में कई अन्य कंपनियों की तरह अपना परिचालन बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ा था। बैंकों के अलावा, टावर उपकरण विक्रेताओं ने करीब 21,000 करोड़ रुपये के बकाये के दावे किए थे।
सीओसी ने आरकॉम और उसकी दूसरी सहायक इकाई रिलायंस टेलीकॉम इन्फ्रा लिमिटेड को दिल्ली स्थित यूवी ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (यूवीएआरसी) को बिक्री के लिए भी मंजूरी दे दी है, जिसने स्पेक्ट्रम, डेटा केंद्रों, रियल एस्टेट और उद्यम व्यवसायों के इस्तेमाल के लिए 14,000 करोड़ रुपये चुकाने की पेशकश की थी।
मौजूदा समय में 800 मेगाहट्र्ज बैंड में करीब 58.75 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम का बड़ा हिस्सा रिलायंस जियो द्वारा मौजूदा स्पेक्ट्रम साझा समझौते के तहत किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एनसीएलटी ने इस शर्त के साथ रिलायंस इन्फ्रा बिक्री को मंजूरी दे दी है कि रकम का वितरण ऋणदाताओं में से एक दोहा बैंक द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन के निपटान के अधीन है।
हालांकि रिलायंस जियो और यूवीएआरसी सौदों का रास्ता साफ होने के बाद भी 38 ऋणदाता कुल बकाया का सिर्फ 44 प्रतिशत वसूलने में ही सक्षम होंगे। बोलीदाताओं ने प्रतिबद्घता जताई है कि वे 90 दिन के अंदर 30 प्रतिशत भुगतान करेंगे।
