वैश्विक संकट के कारण भले ही कंपनियां उत्पादन घटाने, वेतन में कटौती और छंटनी के लिए बाध्य हो रही हैं, लेकिन इस मंदी ने ऐसे रिटेलरों की चांदी कर दी है, जिन्होंने निजी लेबल बाजार में पेश किए हैं।
विमानन, रियल एस्टेट और वाहन क्षेत्रों में कंपनियों की ओर से वेतन में कटौती किए जाने के बाद उपभोक्ता सस्ते उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं जिससे निजी लेबलों की बिक्री में इजाफा हो रहा है।
विशाल रिटेल के अध्यक्ष अंबीक खेमका ने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में हमारे स्टोरों में निजी लेबलों की बिक्री 25 फीसदी तक बढ़ी है। फूड एवं ग्रॉसरी सेगमेंट में निजी लेबल के तहत नूडल्स, शीतल पेय, पापड़ और मिनरल वाटर की बिक्री मैगी, पेप्सी और लेज एवं बिसलरी जैसे ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में काफी बढ़ी है।’
कंपनियां निजी लेबलों को पेश करने के लिए बढ़-चढ़ कर आगे आ रही हैं, क्योंकि ब्रांडेड उत्पादों पर जहां मार्जिन 10 फीसदी है वहीं लिजी लेबलों का मार्जिन 30 फीसदी से भी अधिक हो सकता है।
पिछले महीने फ्यूचर समूह अपने फ्यूचर ब्रांड के साथ एफएमसीजी, कंज्यूमर डयूरेबल और परिधान सेगमेंट में दस्तक देने की घोषणा कर चुका है।
समूह को 2012 तक अपने कुल राजस्व का एक-तिहाई राजस्व निजी लेबल की बिक्री से प्राप्त होने की उम्मीद है।
टेक्नोपैक के चेयरमैन अरविंद सिंघल कहते हैं, ‘लोग ब्रांडेड खाद्य उत्पाद या सेब जैसे महंगे फल खरीदना बंद नहीं करेंगे, लेकिन अपने घटे हुए वेतन में अपना खर्च निकालने की कोशिश के तहत वे सस्ते उत्पादों को अपने मासिक बजट में शामिल अवश्य करेंगे।’
आरपीजी समूह के स्पेंसर्स डेली ने अपने निजी लेबलों की बिक्री में पूर्व तिमाहियों की तुलना में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की है।
स्पेंसर्स डेली मुख्य तौर पर संपन्न तबके के लोगों के बीच लोकप्रिय है। कंपनी ने अगले दो साल में 35 फीसदी राजस्व निजी लेबलों की बिक्री से जुटाने की योजना बनाई है।
इसे ध्यान में रख कर कंपनी ने निजी लेबलों का स्टॉक बढ़ाना शुरू कर दिया है। कई कंपनियों ने सस्ते उत्पाद उतारने शुरू कर दिए हैं।
फूड प्रोसेसिंग यानी खाद्व संवर्द्धन कंपनी पारले एग्रो ने कम कीमत वाली कैंडी पेश कर बाजार में अपना दबदबा बढ़ाने का फैसला किया है।