रेल मंत्रालय ने उत्तर रेलवे को कहा है कि वह एक पूर्वप्रभावी समझौता करे और अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स (एएएलएल) के स्वामित्व वाले माल डिब्बों के रखरखाव का शुल्क वसूल करे। इन थोक खाद्यान्न रखरखाव, भंडारण और परिवहन (बीसीबीएफजी) डिब्बों की खरीद अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बीच एक समझौते के तहत की गई थी।
यह समझौता एक दशक पूर्व हुआ था। पूर्व की तारीख से रखरखाव की वसूली दिल्ली उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के तहत की जा रही है।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘करीब 2006 में खाद्यान्नों की थोक मात्रा में परिवहन की योजना के लिए एक खुली निविदा आने के बाद एफसीआई ने अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के साथ एक समझौता किया था। विशेष डिब्बों में परिवहन अक्टूबर 2008 के आसपास शुरू हुई थी।’
उत्तर रेलवे में इन डिब्बों का रेल की दूसरी छोटी पटरी पर दौडऩे को लेकर 2014 में आई आंतरिक रिपोर्ट में पाया गया था कि इन डिब्बों के लिए उत्तर रेलवे की ओर से कोई रखरखाव शूल्क वसूल नहीं किया जा रहा है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स से इसकी वसूली की जाए। उत्तर रेलवे द्वारा भेजे गए बिल को अदाणी एग्री लॉजिस्टक्स ने अदालतों में चुनौती दी थी।
अधिकारी ने कहा, ‘रेलवे बोर्ड की ओर से दिया गया मौजूदा निर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जारी किया गया है। इस आदेश में एक उपयुक्त समझौता कर डिब्बों के रखरखाव के लिए शूल्कों का भुगतान करने की बात कही गई है।’ उत्तर रेलवे को रेल मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र के मुताबिक इन डिब्बों का रखरखाव भारतीय रेल द्वारा किया जाएगा जिसके लिए भुगतान की व्यवस्था अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के साथ किए गए करार से की जाएगी।
नियमित रखरखाव लागतों में यार्ड का निरीक्षण, नियमित तौर पर पूरी जांच और मरम्मत (आरओएच), एक निश्चित समयावधि पर जांच और मरम्मत (पीओएच) और इन डिब्बों का सामान्य टूट फूट के कारण होने वाले मरम्मत शामिल है जिसकी वसूली प्रति वर्ष इन डिब्बों की पूंजीगत लागत के 5 फीसदी की दर से की जाएगा।
दुर्घटनाओं को छोड़कर अनियमित मरम्मत जिसमें दोषपूर्ण निर्माण भी शामिल है की लागत भी अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स से वसूली जाएगी जो प्रति वर्ष पूंजीगत लागत के 5 फीसदी से अलग होगा।
रेलवे बोर्ड ने 7 फरवरी, 2006 को अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स को रेल परिवहन मंजूरी दी थी। यह मंजूरी मोगा (पंजाब), कैथल (हरियाणा), इलावुर (तमिलनाडु में तिरुवल्लुर जिले में स्थित गांव), मदुक्कराई (कोयंबटूर का उपशहरी क्षेत्र), ओड्डरहल्लि (कर्नाटक में हडोनहल्लि), तलोजी (नवी मुंबई के रायगढ़ जिले में ) और बांदेल (हुगली जिले में शहर) रेलवे स्टेशनों पर निजी पटरी के निर्माण की मंजूरी दी थी ताकि गेहूं और धान की बाहरी आवाजाही की जा सके।
दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के मोटे तौर पर 153 डिब्बे अक्टूबर 2019 से बेकार खड़े हैं जिन्हें रखरखाव मरम्मत/रेलवे शेड में जांच और मरम्मत का इंतजार है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था, ‘जब तक रेलवे इन्हें उपयोग के लिए प्रमाणित नहीं करता है तब तक ये अलभ्य और अनुपयोगी बने रहेंगे। एफसीआई के लिए आवश्यक खाद्यान्नों के परिवहन की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।’
