अमेरिका और यूरोपीय देशों में मंदी और भारत में निर्माण एवं औद्योगिक क्षेत्रों पर छाए संकट की वजह से पंजाब का वाल्व एवं कॉक उद्योग संकट में घिर गया है।
राज्य की ज्यादातर वाल्व एवं कॉक निर्माण इकाइयां एमएसएमई क्षेत्र में पड़ती हैं। मंदी की वजह से जहां घरेलू बिक्री 25-30 फीसदी तक प्रभावित हुई है वहीं इन उत्पादों के निर्यात में 80 फीसदी तक की कमी आई है।
पंजाब में ज्यादातर वाल्व एवं कॉक उद्योग जालंधर के पास केंद्रित हैं और इनका सालाना कारोबार लगभग 700 करोड़ रुपये का है। मौजूदा समय में यहां 325-350 इकाइयां काम कर रही हैं जिनमें से ज्यादातर एमएसएमई क्षेत्र में आती हैं और भारत में निर्मित कुल वाल्व और कॉक में इनका 50 फीसदी का योगदान है।
पंजाब के अलावा अहमदाबाद, मुंबई, पुणे आदि में इस कारोबार के लिए जाने जाते हैं। वाल्व एवं कॉक निर्माता अपने उत्पादों को पश्चिम एशिया, अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लिए निर्यात करते हैं। इनके कुल उत्पादन में निर्यात की भागीदारी लगभग 20 फीसदी की है।
ऑल इंडिया वाल्व्स ऐंड कॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष विमल जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘निर्माण क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्र में छाई मंदी ने पंजाब के वाल्व एवं कॉक उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। मौजूदा मंदी की वजह से हमारी बिक्री में 25-30 फीसदी की कमी आई है। इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय देशों में आर्थिक संकट की वजह से भी हमारा निर्यात 80 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। ऐसे विपरीत हालात की वजह से निर्माताओं में कारोबार को लेकर भय व्याप्त हो गया है।’
उन्होंने कहा कि चीन पहले ही भारत के 2000 करोड़ रुपये के वाल्व एवं कॉक बाजार में लगभग 20 फीसदी की हिस्सेदारी पर पकड़ बना चुका है। इसके अलावा मौजूदा आर्थिक संकट ने समस्या को और विकराल बना दिया है।
डीआरपी मेटल्स के पार्टनर देश बंधु शर्मा भी इसी तरह की भावना का इजहार करते हुए कहते हैं, ‘बाजार में मंदी के कारण यह कारोबार लगभग 30-35 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। इकाइयों को पैकेज दिए जाने की जरूरत है ताकि वे मौजूदा आर्थिक संकट से कुछ हद तक उबर सकें। हम चाहते हैं कि सरकार उत्पाद शुल्क को घटा कर 4-5 फीसदी करे।’
