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नई भर्तियां घटने से IT फर्मों का प्रति कर्मचारी मुनाफा बढ़ा

Published by
कृष्ण कांत
Last Updated- January 17, 2023 | 9:21 PM IST

देश की प्रमुख आईटी कंपनियों द्वारा नई नियुक्तियों की रफ्तार धीमी किए जाने से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में उद्योग का प्रति कर्मचारी मुनाफा खासा बढ़ गया है।

शीर्ष चार आईटी कंपनियों का अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में प्रति कर्मचारी शुद्ध मुनाफा 1.7 लाख रुपये रहा, जो इसी वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के 1.57 लाख रुपये से 8.6 फीसदी अधिक है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इन कंपनियों का प्रति कर्मचारी शुद्ध मुनाफा सबसे कम 1.47 लाख रुपये था। वित्त वर्ष 2021 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में में शीर्ष चार आईटी फर्मों का प्रति कर्मचारी शद्ध मुनाफा सबसे अधिक 1.95 लाख रुपये था।

शीर्ष चार आईटी कंपनियों के कुल कर्मचारियों की संख्या में शुद्ध रूप से महज 1,940 का इजाफा

शीर्ष चार आईटी कंपनियों – टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और विप्रो के कुल कर्मचारियों की संख्या में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में केवल 1,940 का इजाफा हुआ, जो महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020 की चौथी और वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही को छोड़कर 5 साल में सबसे कम है। महामारी के दौरान इन कंपनियों के कुल कर्मचारियों की शुद्ध संख्या में गिरावट आई थी।

बीते कई वर्षों में आईटी उद्योग में नई भर्तियों में यह सबसे बड़ी नरमी है। उदाहरण के लिए इन चार कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कुल मिलाकर करीब 80,000 कर्मचारियों को अपने साथ जोड़ा था और पिछली 9 तिमाहियों में औसतन 47,000 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी।

उद्योग में नियुक्तियां घटने से कर्मचारियों की उत्पादकता में भी हुआ सुधार

दिलचस्प है कि उद्योग में नियुक्तियां घटने से कर्मचारियों की उत्पादकता में भी सुधार हुआ है, जिसे कंपनी की प्रति कर्मचारी कमाई से आंका गया है। वित्त वर्ष 2022 में कर्मचारियों की उत्पादकता में गिरावट देखी जा रही थी।

हमारे नमूने में शामिल चार बड़ी आईटी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में प्रति कर्मचारी औसतन 10.16 लाख रुपये की आय अर्जित की, जो दूसरी तिमाही में 9.66 लाख रुपये और वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 9.3 लाख रुपये थी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में इन कंपनियों की प्रति कर्मचारी शुद्ध आय अब तक सर्वाधिक रही है, जो 5 साल के औसत 9.4 लाख रुपये प्रति कर्मचारी से करीब 8 फीसदी अधिक है।

उद्योग की कर्मचारी उत्पादकता में सुधार का असर शेयर बाजार में भी दिखा। यही कारण है कि बाजार कमजोर होने पर भी आईटी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई।

चार बड़ी आईटी कंपनियों का एकीकृत बाजार पूंजीकरण जनवरी में अब तक 3.4 फीसदी बढ़ चुका है, जबकि इस दौरान बंबई स्टॉक एक्सचेंज के बेंचमार्क सेंसेक्स में 0.3 फीसदी की गिरावट आई। उनका संयुक्त बाजार पूंजीकरण दिसंबर के अंत में 23.24 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मंगलवार को 24.03 लाख करोड़ रुपये हो गया। साथ ही इन कंपनियों ने पिछले साल सितंबर के बाद औसतन 11 फीसदी की बढ़त दर्ज की है। सेंसेक्स में इस दौरान महज 5.6 फीसदी की वृद्धि हुई।

आईटी शेयरों के लिए कैलेंडर वर्ष 2022 काफी कमजोर रहा क्योंकि इस दौरान आईटी कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 21 फीसदी की कमी आई, जबकि सेंसेक्स में 4.4 फीसदी बढ़त दर्ज की गई। विश्लेषकों के अनुसार आईटी उद्योग को दो प्रतिकूल परिस्थितियों – नियुक्तियां रुकने से कुल कर्मचारियों की संख्या में गिरावट और वेतन मद के खर्च में कमी – का फायदा हुआ।

सिस्टेमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के निदेशक एवं प्रमुख (अनुसंधान एवं रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष 2023 में आईटी कंपनियों के लागत संबंधी दबाव में कमी आएगी, जिससे मार्जिन और प्रति कर्मचारी मुनाफा बढ़ेगा। अमेरिका के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मंदी और तकनीकी कंपनियों में छंटनी के कारण वेतन कम होने से भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा हुआ है।’

इसके विपरीत कोविड के बाद डिजिटलीकरण में आई जबरदस्त तेजी और कुशल आईटी पेशेवरों की किल्लत के कारण कंपनियां प्रतिभाशाली कर्मचारियों को रोके रखने के लिए बेहतर वेतन देने पर मजबूर हुई हैं। मगर अब यह रुझान भी बदल रहा है।

वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में चार बड़ी आईटी कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री कंपनी के परिचालन मार्जिन पर वेतन पैकेज के दबाव के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से बढ़ी है।

फिच रेटिंग्स के विश्लेषक ने टीसीएस पर अपने ताजा अपडेट में लिखा है, ‘हमें उम्मीद है कि 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने के बावजूद कर्मचारियों के कंपनी छोड़ने की रफ्तार और वेतन दबाव में कमी आएगी।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में पिछले 12 महीने के दौरान कर्मचारियों के जाने की दर वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 21 फीसदी के उच्च स्तर पर बनी रही, जो वित्त वर्ष 2019 से 2021 में औसतन 10 फीसदी थी।’

रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि 2023 और 2024 में भारतीय आईटी सेवा कंपनियों की राजस्व वृद्धि वैश्विक प्रतिस्पर्द्धियों के मुकाबले अधिक रहेगी क्योंकि ग्राहक आर्थिक मंदी के बीच कम लागत वाले आईटी वेंडरों को अधिक पसंद करेंगे।

First Published : January 17, 2023 | 9:21 PM IST