गर्मी के महीने में मांग की बढ़ती संभावना को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज की केजी बेसिन की गैस को द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) प्लांट में उत्पादित गैस की तुलना में प्राथमिकता दी जाएगी।
एलपीजी प्लांटों से 3 एमएससीएमडी गैस का उत्पादन किया जाता है, जबकि इस महीने से पहले केजी बेसिन में गैस उत्पादन का काम शुरू हो गया है और उम्मीद की जा रही है कि जुलाई अंत तक 40 एमएससीएमडी गैस का उत्पादन संभव हो सकता है।
नेल्प के तहत गैस के वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के नेतृत्व में बनी मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने 9 अप्रैल की बैठक में यह निर्णय लिया। गर्मी के मौसम में बिजली की काफी कमी का सामना करना पड़ता है। गर्मी के मौसम में खेती के काम में भी बिजली की ज्यादा खपत होती है, जिस वजह से बिजली आपूर्ति पर दबाव बना रहता है।
फीडबैक वेंचर्स के महाप्रबंधक (एनर्जी) राकेश जैन कहते हैं, ‘गर्मी के समय में बिजली की मांग में 10 से 18 फीसदी का इजाफा हो जाता है। अगर गर्मी के दिनों में बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है, तो इस संकट से कुछ हद तक निजात पाने में सफलता मिल सकती है। इस समय में पानी की किल्लत की वजह से पनबिजली की भी कमी का सामना करना पड़ता है।’
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने 18 फरवरी को अपने एक वक्तव्य में कहा था, ‘यूरिया प्लांट, एलपीजी प्लांट और बिजली प्लांट में बिजली की कमी को देखते हुए पहले खेप में उत्पादित 40 एमएससीएमडी गैस की आपूर्ति बिजली क्षेत्रों को की जाएगी।’
