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डीएचएफएल संग इकाई का विलय करेगा पीरामल

Last Updated- December 13, 2022 | 9:38 AM IST

पीरामल समूह अपने वित्तीय सेवा कारोबार के विलय की योजना बना रहा है और उसने 5,550 करोड़ रुपये की अपनी पेशकश में 300 करोड़ रुपये सावधि जमाधारकों के लिए अलग से रख दिए हैं। इस विलय से पीरामल का वित्तीय सेवा कारोबार डीएचएफएल के साथ मिल जाएगा। इस कारोबार में वह 10,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पहले ही लगा चुका है। ऐसे में विलय के बाद बनने वाली इकाई वित्तीय रूप से स्थिर होगी। पीरामल की योजना इस बात पर निर्भर करेगी कि डीचएचएफएल के लेनदारों की समिति ओकट्री के बजाय उसकी पेशकश स्वीकार करती है या नहीं।
कारोबार जारी रखने की योजना के तहत पीरामल समूह इस हाउसिंग फाइनैंस फर्म के 4,500 कर्मचारियों को बनाए रखने के हक में भी है। सूत्रों ने कहा कि पीरामल ने अमेरिकी फर्म ओकट्री के मुकाबले 2,500 करोड़ रुपये ज्यादा की बोली लगाई है क्योंकि ओकट्री ने 36,656 करोड़ रुपये की अपनी पेशकश में 1,500 करोड़ रुपये रोक लिए हैं। एक बैंकर ने कहा, ‘पीरामल ने लेनदारों को 1,000 करोड़ रुपये ज्यादा पेशगी की बात की है और बोली में से कोई रकम रोकी भी नहीं है। इसी वजह से दोनों बोलियों में अच्छा खासा अंतर पैदा हो गया है।’ ओकट्री की पेशकश में 11,646 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान के अलावा लेनदारों को बाद में भुगतान शामिल है, वहींं पीरामल ने 13,000 करोड़ रुपये अग्रिम नकदी की पेशकश की है।
संपर्क किए जाने पर ओकट्री ने टिप्पणी करने से मना कर दिया। पीरामल के प्रवक्ता ने बोली की मौजूदा प्रक्रिया पर टिप्पणी नहीं की।
ओकट्री ने बैंकों से 1,500 करोड़ रुपये तब तक एस्क्रो अकाउंट में रखने को कहा है जब तक कि डीएचएफएल के बीमा उद्यम की बिक्री से जुड़ी कर देनदारी पूरी नहीं हो जाती। ओकट्री बीमा इकाई में हिस्सा नहीं रख सकती क्योंकि इससे बीमा क्षेत्र में एफडीआई के नियमों का उल्लंघन होगा। प्रामेरिका के पास बीमा कंपनी की बहुलांश हिस्सेदारी है।
डीएचएफएल के लेनदारों की समिति की बैठक 18 दिसंबर को होगी, जिसमें सभी कंपनियों से मिले प्रस्तावों का अध्ययन किया जाएगा। सीओसी इस पर भी चर्चा करेगा कि डीएचएफएल के दावेदारों के बीच इस रकम का बंटवारा कैसे होगा। प्रस्तावों पर वोटिंग एक हफ्ते बाद होगी।
पिछले साल दिसंबर में जब डीएचएफएल को कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी के पास भेजा गया था तो लेनदारों, सावधि जमाधारकों और भविष्य निधि कोषों ने डीएचएफएल पर 90,000 करोड़ रुपये का दावा किया।
ओकट्री और पीरामल ने बैंकों को बॉन्ड जारी करने की पेशकश की है। चूंकि पीरामल पहले ही एएए रेटिंग वाली कंपनी है, लिहाजा उसके बॉन्ड को ओकट्री के मुकाबले प्रीमियम हासिल होगा क्योंंकि ओकट्री के बॉन्ड की रेटिंग कम होगी। एक सूत्र ने कहा कि मात्रात्मक मानकों पर तुलना करें तो पीरामल की पेशकश ने ओकट्री के मुकाबले तीन पाइंट हासिल किए हैं।
सूत्र ने कहा कि पीरामल भारतीय कंपनी है और लेनदारों के साथ उनके संबंध हैं, ऐसे में बैंक उनके साथ काम करने में ज्यादा सहज होंगे।

First Published - December 16, 2020 | 10:52 PM IST

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