संकटग्रस्त दीवान हाउसिंग फाइनैंस (डीएचएफएल) के संपूर्ण अधिग्रहण के लिए अंतिम समय में अदाणी समूह द्वारा बोली लगाए जाने से पीरामल समूह नाराज हो गया है। उसने चेतावनी दी है कि अगर अदाणी की बोली को स्वीकार किया जाता है तो वह अधिग्रहण की दौड़ से बाहर निकल जाएगा। अदाणी ने पहले केवल थोक पोर्टफोलियो के लिए बोली लगाई थी लेकिन बाद में पूरी संपत्ति के लिए बोली लगाई। बैंकरों के अनुसार अदाणी की नई बोली ओकट्री और पीरामल से ज्यादा है।
पहले सौंपी गई संशोधित बोली में पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा पोर्टफोलियो के लिए 25,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, वहीं ओकट्री ने पूरे डीएचएफएल के लिए 31,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। अदाणी ने थोक और झुग्गी पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिए केवल 3,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। लेकिन चकित करने वाला कदम उठाते हुए अदाणी ने पूरी कंपनी के लिए ओकट्री से 250 करोड़ रुपये ज्यादा की बोली लगा दी।
पीरामल समूह ने डीएचएफएल के ऋणदाताओं की समिति से कहा है कि वह अदाणी की नई पेशकश को खारिज करे नहीं तो वह कानून के मुताबिक समुचित
कदम उठाएगा। ओकट्री ने सशर्त बोली लगाई है जिसमें कहा गया है कि वह किसी भी समय प्रक्रिया से पीछे हट सकती है।
बैंकरों का कहना है कि वह पीरामल और ओकट्री की पेशकश से बंधे नहीं हैं और जो बोलीदाता ज्यादा अग्रिम धन देंगे उसे तवज्जो दी जाएगी। पीरामल और ओकट्री ने बैंकों को किस्तों में भुगतान करने के साथ ही डीएचएफएल के खाते में पड़े 12,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है। बाकी रकम ब्याज सहित सात साल में देने की बात कही गई है।
घटनाक्रम के जानकार एक बैंकर ने कहा, ‘ओकट्री ने अग्रिम के तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है, बाकी नकद डीएचएफएल के खाते से दी जाएगी। इसके अलावा बची राशि सात साल में किस्तों में दी जाएगी। लेकिन बैंकर उसकी बोली को पसंद करेंगे जो ज्यादा नकद भुगतान करेंगी।’
पीरामल और ओकट्री दोनों ने किस्तों में भुगतान करने की पेशकश की है जो बैंकों को रास नहीं आ सकता है क्योंकि डीएचएफएल के चूक करने से उन्हें पहले ही भारी-भरकम प्रावधान करना पड़ा है। एक अन्य बोलीदाता एसी लॉरी ने थोक खातों के लिए बोली लगाई है, उसमें कई शर्तें जोड़ी गई हैं।
पिछले साल दिसंबर में डीएचएफएल को दिवालिया अदालत में भेजा गया था और ऋणदाताओं ने कंपनी पर 95,000 करोड़ रुपये का दावा किया था। पीरामल समूह डीएचएफएल के रिटेल पोर्टफोलियो को खरीदना चाह रहा है क्योंकि रियल एस्टेट क्षेत्र में नरमी के कारण उसके थोक ऋण खाते पर खासा दबाव है। सूत्रों ने कहा कि डीएचएफएल के रिटेल खातों से नियमित नकदी प्रवाह से पीरामल को अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी।
इस साल फरवरी में डीएचएफएल के ऋणदाताओं ने कंपनी को बेचने का निर्णय किया और करीब दो दर्जन निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। इनमें एऑन कैपिटल, अदाणी, हीरो फिनकॉर्प, केकेआर क्रेडिट एडवाइजर्स, ओकट्री, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स ग्रुप, डॉयचे बैंक एजी, वारबर्ग पिनकस, एसएसजी कैपिटल, एडलवाइस, लोन स्टार, पीरामल और ब्लैकस्टोन प्रमुख थे। लेकिन इनमें से केवल चार ने ही वित्तीय बोली लगाई।
