पेट्रोल. डीजल और एलपीजी सिलेंडरों की कीमतों में हुई कटौती की वजह से लोग तो काफी खुश हैं, लेकिन तेल कंपनियों के मुंह लटक गए हैं। इस कटौती की वजह से एक ही बार में तेल कंपनियों की मोटी कमाई पर कैंची चल गई है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के अधिकारियों की मानें तो इस कटौती की वजह से पिछले एक महीने में हुई 1,100 करोड़ रुपये एक ही झटके में खत्म हो गई।
कीमतों में कटौती से पहले कंपनियां पेट्रोल पर आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कम रही थीं। इस वजह से ही वे एलपीजी सिलेंडरों और किरोसिन तेल पर दी जाने वाली मोटी सब्सिडी को पूरा कर पा रही थीं।
अब पेट्रोल में 5 रुपये प्रति लीटर, डीजल में 2 रुपये प्रति लीटर तथा एलपीजी सिलेंडर में 25 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमत की वजह से उनके मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा भी खत्म हो गया है।
कच्चे तेल के भारतीय बास्केट में कीमत भी 35 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 40 डॉलर हो गई है। विश्लेषकों की मानें तो अगर कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफा जारी रहा, तो इस वजह से जनवरी-मार्च तिमाही में तेल कंपनियों का मुनाफा गिर सकता है।
मुंबई स्थित एक विश्लेषक का कहना है कि, ‘कीमतों में कटौती से मांग में तेज इजाफा हो सकता है। साथ ही, अगर अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी इजाफा जारी रहा, तो इससे कंपनियों के मुनाफे पर बुरा असर पड़ सकता है।’
हालांकि, इन कंपनियों को उम्मीद है कि उनकी हिफाजत के लिए सरकार तेल बॉन्ड जारी कर सकती है। आईओसी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘सरकार ने फैसला किया है कि अगर हमें घाटा हुआ, तो वह तेल बॉन्डों के जरिये हमारी मदद करेगी।
इस वजह से हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ कंपनियों के घाटे की भरपाई करने के लिए सरकार ने पहले ही 60,967 करोड़ रुपये के तेल बॉन्डों को जारी कर दिया है।
साथ ही, तेल कंपनियों ने सरकार पर से सब्सिडी का बोझ कम करने के लिए अपने मुनाफे में से 32,000 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।