प्राइवेट इक्विटी (पीई) और वीसी कंपनियों का कहना है कि अगले 12 महीनों में उनका सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी जोखिम वैश्विक पीई और उन संस्थागत फंडों (सॉवरिन फंड समेत) से होगा, जो प्रत्यक्ष रूप से निवेश करते हैं और भारतीय पीई परिदृश्य में अपना दबदबा रखते हैं।
बेन इंडिया प्राइवेट इक्विटी द्वारा निवेशकों के सर्वे में कहा गया है कि करीब 72 प्रतिशत निवेशक अपने लिए वैश्विक पीई को बड़े खतरे के तौर पर देखते हैं, जबकि 40 प्रतिशत को एलपीपी या संस्थागत निवेशकों और सॉवरिन फंडों से चुनौती मिल रही है।
इन वैश्विक पीई और संस्थागत निवेशकों के दबदबे का बेन ऐंड कंपनी की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पता चला है। यह रिपोर्ट इंडियन प्राइवेट इक्विटी ऐंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन की भागीदारी में आज जारी की गई। इसमें कहा गया है कि 2020 में शीर्ष-10 सबसे बड़े निवेशक वैश्विक या संस्थागत पीई थे जिन्होंने कुल मिलाकर 20.5 अरब डॉलर का निवेश किया, जो 2020 के सभी सौदों के एक-तिहाई के बराबर था। 10 प्रमुख कंपनियों का औसत सौदा आकार 46.5 करोड़ डॉलर है, जिससे पीई बाजार पर उनकी मजबूती का पता चलता है। वहीं प्रमुख 10 की सूची में एक भी घरेलू पीई शुमार नहीं हुआ। यही नहीं, दो प्रमुख निवेशकों पीआईएफ और केकेआर ने 80-80 करोड़ डॉलर के औसत सौदा आकार के साथ वर्ष 2020 में 6.6 अरब डॉलर का निवेश किया।
अन्य स्तर पर विचार करें तो पता चलता है कि शीर्ष-15 सौदों का 2020 की कुल वैल्यू में 40 प्रतिशत और 2019 में 35 प्रतिशत योगदान रहा। लेकिन पीई और वीसी कंपनियों की कुल संख्या 2019 के 687 से 13 प्रतिशत तक बढ़कर 2020 में 777 हो गई। बड़ी पीई कंपनियों के लिए भारत के बढ़ते महत्व को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि जहां एशिया प्रशांत में कोष उगाही घटी (2019-20 के मुकाबले 33 प्रतिशत की कमी), और चीन में इसमें और ज्यादा कमजोरी देखी गई, वहीं भारत की भागीदारी 3 प्रतिशत पर मजबूत बनी रही।
क्षेत्रवार नजरिये से हेल्थकेयर की ओर निजी इक्विटी निवेशकों का ध्यान अचानक बढ़ गया। बेन इंडिया प्राइवेट इक्विटी सर्वे से प्रतिक्रियाओं के आधार यह कहा गया है कि हेल्थकेयर कैलेंडर वर्ष 2021 में पीई निवेशकों के लिए प्रमुख क्षेत्र के तौर पर नंबर तीन पर रहा, जो सिर्फ कंद्यज्यूमर टेक और आईटी/आईटीईएस सेक्टर से पीछे रहा। लेकिन कंज्यूमर टेक में विभिन्न उप-क्षेत्रों में भी, 65 प्रतिशत प्रतिभागयों ने डिजिटल हेल्थ को निवेश फोकस के लिए नंबर एक क्षेत्र के तौर पर चुना।
यह समझने योग्य भी है, क्योंकि कोविड-19 और खासकर दूसरी लहर ने लाखों भारतीयों को न सिर्फ दवाएं ऑनलाइन के जरिये खरीदने, या टेस्ट की बुकिंग कराने के लिए आगे आना पड़ा बलिक उन्होंने संकट की स्थिति में डॉक्टरों के साथ परामर्श के लिए भी ऑनलाइन का सहारा लिया।
