देश से टीका निर्यात तेजी की राह पर रहा है, लेकिन एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड टीके के प्रतिकूल प्रभाव संबंधी चिंताओं से इस रफ्तार पर असर पड़ सकता है। मार्च के पहले सप्ताह तक भारत विभिन्न देशों को व्यावसायिक रूप से, अनुदान के तौर पर और कोवैक्स सुविधा के लिए टीके की 4.81 करोड़ खुराक का निर्यात कर चुका है। फरवरी के मध्य तक देश ने कोविड-19 टीकों की 1.6 करोड़ खुराक का निर्यात किया था जिसमें से लगभग 37 प्रतिशत खुराक रणनीतिक कारणों से पड़ोसी देशों को अनुदान की गई थीं।
लोक सभा में विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े बताते हैं कि 4 मार्च तक निर्यात का लगभग 15 प्रतिशत अनुदान किया गया है। पिछले एक महीने में कोवैक्स सुविधा के लिए किए जाने वाले निर्यात में इजाफा हुआ है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड द्वारा विकसित टीके कोविशील्ड की 1.19 करोड़ खुराक का निर्यात विश्व स्वास्थ्य संगठन-गावी के नेतृत्व वाली पहल के लिए किए जाने से यह इजाफा हुआ है जिसमें टीकों को एकत्रित किया जाता है और विभिन्न देशों में समान रूप से वितरित किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार अधिकांश कोवैक्स का निर्यात केन्या, नाइजीरिया जैसे कम आय वाले देशों में हुआ है। भारत ने देश में निर्मित टीके की बाहरी आपूर्ति 20 जनवरी को शुरू की थी। विदेश मंत्रालय ने लोकसभा को दिए एक जवाब में कहा है कि बाहरी आपूर्ति घरेलू उत्पादन, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की जरूरतों और भारत में निर्मित टीकों के लिए किए गए अनुरोधों को ध्यान में रखकर की जाती है। मंत्रालय ने कहा कि आपूर्ति चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगी।
कोविशील्ड की समीक्षा
कई देशों ने टीकाकरण के बाद खून के थक्के जैसी प्रतिकूल घटनाओं के डर से एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड टीकों के इस्तेमाल को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्थगित कर दिया है। इनमें ज्यादातर डेनमार्क, इटली और ऑस्ट्रिया जैसे यूरोपीय देश हैं। थाईलैंड और आयरलैंड भी एहतियाती उपाय के तौर पर एस्ट्राजेनेका टीके का इस्तेमाल स्थगित करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गए हैं। यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी खून के थक्के की घटनाओं की समीक्षा कर रही है। माना जा रहा है कि फिलहाल इस बात का कोई संकेत नहीं है कि टीकाकरण के कारण यह दशा हुई है। भारत में केंद्र ने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड टीके की समीक्षा करने का फैसला किया है, जिसे एसआईआई द्वारा निर्मित किया गया है। एसआईआई ने कहा है कि अब तक टीका निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि एसआईआई मुख्य रूप से कम और मध्य आय वाले देशों को निर्यात कर रही है न कि यूरोपीय देशों को। यूरोपीय विनियामकों की टीमें एसआईआई की पुणे सुविधा केंद्र का दौरा कर चुकी हैं। सूत्रों ने संकेत दिया था कि यह संभावना है कि एसआईआई उस आपूर्ति संकट की भरपाई करने के लिए कदम उठा सकती है, जो एस्ट्राजेनेका यूरोप में अनुभव कर रही थी।
एस्ट्राजेनेका टीका सुरक्षित
ब्रिटिश स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका और ब्रिटेन के दवा नियामक ने कहा है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर ऑक्सफर्ड द्वारा विकसित टीके सुरक्षित हैं और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इन टीकों के कारण खून जमकर थक्के बने हैं जैसा कुछ यूरोपीय देशों से रिपोर्ट आई है। यह बयान तब आया है जब खून जमने की खबरों के बाद नीदरलैंड ऑक्सफोर्ड/एस्ट्रोजेनेका का इस्तेमाल निलंबित करने वाला एक और देश बन गया है। एस्ट्राजेनेका का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ करार है। उससे पहले आयरलैंड, बुल्गारिया, डेनमार्क, नॉर्वे और आयसलैंड ने खून जमने को लेकर चिंताएं सामने आने के बाद एहतियात के तौर पर इस टीके पर रोक लगा दी थी। भाषा