पूंजीगत वस्तुएं, अभियांत्रिकी और बुनियादी कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दे रहे हैं।
जनवरी से मार्च 2009 के दौरान पचास भारतीय कंपनियां 44,150 करोड़ रुपये के नये ऑर्डर प्राप्त करने में कामयाब रही है जबकि अक्टूबर से दिसंबर 2008 के दौरान 66 कंपनियों को 43,861 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला था।
नये ऑर्डर बड़े और मझोले आकार की बुनियादी तथा अभियांत्रिकी और पावर इक्विपमेंट कंपनियों की झोली में आए हैं। बीएचईएल तथा लार्सन ऐंड टुब्रो की हिस्सेदारी कुल ऑर्डर में 38 प्रतिशत की रही जबकि हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन और पुंज लॉयड की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत रही।
सिंप्लेक्स प्रोजेक्ट्स, गायत्री प्रोजेक्ट्स और बीईएमएल जैसी प्रत्येक कंपनी, जो दिसंबर 2008 को समाप्त हुई तिमाही में नये ऑर्डर प्राप्त नहीं कर पाए थे, की झोली में इस तिमाही 1,500 करोड़ रुपये अधिक के ऑर्डर मिले हैं। इसके अतिरिक्त, सद्भाव इंजीनियरिंग, सुभाष प्रोजेक्ट्स, वेलस्पन गुजरात और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन के ऑर्डर में क्रमिक तिमाही में 100 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है।
हालांकि, एबीजी शिपयार्ड, मोजर बेयर, अबान ऑफशोर, जिंदल ड्रिलिंग, सी ऐंड सी कंस्ट्रक्शंस, महाराष्ट्र सिमलेस और जे कुमार इन्फ्राप्रोजेक्ट्स प्रत्योक को कैलेंडर वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिले जबकि कैलेंडर वर्ष 2009 की पहली तिमाही में इन्हें कोई ऑर्डर नहीं मिला।
हालांकि, सालाना आधार पर भारतीय कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डर में 20.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पिछली नौ तिमाहियों के दौरान ऐसा पहली बार देखा जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई मंदी से पूंजीगत वस्तुएं, अभियांत्रिकी और बुनियादी कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
कुल ऑर्डर के लगभग 86 प्रतिशत पावर (20,677 करोड़ रुपये) और निर्माण तथा अभियांत्रिकी (17,094 करोड़ रुपये) क्षेत्र से थे। शेष बचे 14 प्रतिशत (6,379 करोड़ रुपये) में रेलवे (1,210 करोड़ रुपये), तेल एवं गैस (1,456 करोउ रुपये), धातु और अन्य क्षेत्रों के ऑर्डर शामिल हैं।
केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ विदेशी कंपनियों से मिलने वाले ऑर्डर में 44 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई जबकि निजी क्षेत्र से प्राप्त होने वाले ऑर्डर में 61 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
