देश की विभिन्न अदालतों में कानूनी लड़ाई से लडऩे के बाद नए दिवालिया कानून के जरिये एस्सार स्टील (वर्तमान में एएमएनएस इंडिया) के अधिग्रहण के लिए करीब एक साल पहले लक्ष्मी मित्तल भारत आए थे। लेकिन उनका प्रवेश केवल नाटकीय ही नहीं था बल्कि आगामी वर्ष में उन्हें एक सबसे बड़ी चुनौती से जूझना पड़ा क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण 42,000 करोड़ रुपये के इस अधिग्रहण सौदे को तगड़ा झटका लगा।
एएमएएस इंडिया ने 16 दिसंबर 2019 को अधिग्रहण पूरा होने के बाद दमदार शुरुआत की। जनवरी में इस संयुक्त उद्यम ने 74 लाख टन के रन रेट से रिकॉर्ड उत्पादन किया। वर्ष 2017 के अंत में इस अधिग्रहण के लिए जांच-परख के समय हो रहे उत्पादन के मुकाबले यह 40 फीसदी अधिक है। जबकि एबिटा रन रेट 60 करोड़ डॉलर पर अधिग्रहण पूरा होने के समय के मुकाबले अधिक थी। फिर भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के मद्देनजर मार्च के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई जिससे उपयोगकर्ता उद्योग बंद हो गए और आपूर्ति शृंखला बाधित हो गई। अप्रैल में एएमएनएस इंडिया का प्रदर्शन प्रभावित हुआ। लेकिन उसके बाद उसने वापसी की और अब कंपनी अपनी पूरी क्षमता से परिचालन कर रही है।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, ‘एस्सार के लिए बोली 2017-18 में लगाई गई थी और उस दौरान इस्पात में अपसाइकल की महज शुरुआत हुई थी। लेकिन उसके बाद कोविड-19 के शुरू होने से पहले ही एक डाउनसाइकल दिखी थी। शुरुआती दिनों मेंआर्सेलरमित्तल के लिए इस अधिग्रहण का अधिकांश लाभ गुणात्मक था। कई वर्षों तक कोशिश करने के बावजूद कंपनी दमदार तरीके से भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं कर पाई थी।’
भारतीय बाजार में देर से प्रवेश करने वाले मित्तल की एएमएनएस इंडिया के लिए उच्चाकांक्षाएं हैं और उन्होंने कर्मचारियों के नाम अपने उद्घाटन पत्र में इसका उल्लेख किया है। भारत में कारोबार के विस्तार और अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कंपनी के पास एक स्पष्ट योजना है। यहां तक ??कि वैश्विक महामारी के बावजूद मित्तल ने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क किया जहां उनका कारोबार है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ जुलाई में बातचीत की गई और उन्हें बताया गया कि क्षमता विस्तार पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च की योजना है। गुजरात के हजीरा में कंपनी अपने संयंत्र की क्षमता को 73 लाख टन से बढ़ाकर 86 लाख टन करने जा रही है और कंपनी की नजर उसे दोगुना करने पर है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ भी उनकी बातचीत हुई। राज्य में एएमएनएस इंडिया का एक पेलेट संयंत्र है जहां विस्तार कार्य प्रगति पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस्पात की मांग में तेजी आने के साथ ही विस्तार योजना तैयार करने का यह सही वक्त है। रॉय ने कहा, ‘उनके पास एक बड़ी संपत्ति है और वे क्षमता बढ़ाना करना चाहते हैं। इस्पात की कीमतों और मांग में सुधार होने के साथ ही वह सही समय पर पहल कर रहे हैं।’
बहरहाल, एएमएनएस को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है। स्लरी पाइपलाइन, बिजली संयंत्र, बंदरगाह सुविधा आदि आवश्यक सुविधाएं एस्सार स्टील की सहायक इकाइयां है जो समाधान प्रक्रिया में शामिल नहीं थीं। साल के शुरुआती हिस्से में अधिकांश समय कुछ परिसंपत्तियों को सुरक्षित करने की कोशिश में ही गुजर गया था। इसलिए मार्च में एएमएनएस इंडिया ने एडलवाइस ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी से हजीरा में भांदेर बिजली संयंत्र का अधिग्रहण पूरा किया। यह प्राकृतिक गैस आधारित बिजली संयंत्र है जिसकी स्थापित क्षमता 500 मेगावॉट है। एएमएनएस इंडिया ने अपनी निजी जरूतरों को पूरा करने के लिए इसका अधिग्रहण किया।
लगभग उसी दौरान आर्सेलरमित्तल इंडिया एएमआईपीएल) ने ठाकुरानी लॉह अयस्क ब्लॉक का अधिग्रहण किया जहां करीब 17.92 करोड़ टन लौह अयस्क के भंडार होने का अनुमान है। एएमएनएस इंडिया के लिए कच्चे माल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह ब्लॉक हासिल किया गया। लेकिन कुछ परिसंपत्तियों की राह में कानूनी बाधाएं आ गईं। ओडिशा स्लरी पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर (ओएसपीआईएल) के स्वामित्व वाली एएमएनएस इंडिया की स्लरी पाइपलाइन का मामला नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में पहुंच गया।
