देश में परमाणु करार के बाद बिजली उत्पादन क्षेत्र को इससे काफी उम्मीदें हैं और इसी राह में न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने भारत में समुद्र के पास परमाणु रिएक्टर लगाने के लिए 5 से 6 जगहों की पहचान कर ली है।
एलपीसीआईएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस के जैन का कहना है कि कॉर्पोरेशन 1,000 मेगावाट से लेकर 1,650 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टर हर जगह पर विकसित कर सकती है और इसके लिए कंपनी केंद्र से मंजूरी का इंतजार कर है।
इसके अलावा कंपनी की योजना 10 लाइट वाटर संयंत्र लगाने की भी है, जिसके लिए कंपनी पहले ही करार कर चुकी है। 11वीं पंच वर्ष योजना के एक हिस्से के रूप में एनपीसीआई 12 रिएक्टरों पर अगले कुछ महीनों में काम शुरू करेगी।
इनमें से 700-700 मेगावाट क्षमता वाले 8 हैवी वाटर रिएक्टर हैं, तीन फास्ट ब्रीडर रिएक्टर और एक एडवांस हैवी वाटर रिएक्टर है। जैन का कहना है, ‘भारत अब स्वदेशी तरीकों से क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।’
जैन एमटीएआर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से एनपीसीआईएल को ग्रिड प्लेट सौंपने के एक कार्यक्रम के दौरान हैदराबाद में मौजूद थे। ग्रिड प्लेट का का इस्तेमाल परमाणु रिएक्टर में होता है।
कॉर्पोरेशन ने हाल में बिहार में जादूगोड़ा में एक अतिरिक्त खान में परिचालन कार्य शुरू किया है और इसके साथ अन्य खानों को मिलाने से अगले कुछ वर्षों में भारत में यूरेनिमयम की उपलब्धता दोगुनी हो जाएगी।
उनका कहना है कि मौजूदा परमाणु बिजली संयंत्रों में जल्द ही उत्पादन (पीएलएफ) बढ़कर 80 प्रतिशत तक हो जाएगा जो फिलहाल 50 प्रतिशत है।
इसी के साथ ईंधन आपूर्ति और संयंत्र क्षमताओं के बीच के अंतर को पाटने में भी मदद मिलेगी। जैन का कहना है कि कम उत्पादन से कंपनी पर असर पड़ रहा है, बावजूद इसके मुझे उम्मीद है कि हम केंद्र सरकार को इस साल लाभांश दे पाएंगे। इसके साथ ही एनपीसीआईएल विदेशों में भी यूरेनियम उत्खनन में निवेश करेगी।
फास्ट ब्रीडर रिएक्टर कार्यक्रम के बारे में एनपीसीआईएल के प्रमुख का कहना है कि तमिलनाडु में कालपक्कम परमाणु रिएक्टर प्रगति पर है और 2011 तक यहां से बिजली उत्पादन का काम शुरू हो जाएगा।