पुरानी यानी सेकंड हैंड कारों का बाजार देश में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब इसी कवायद में एक ओर कड़ी जुड़ने जा रही है, मर्सिडीज-बेंज के साथ।
लक्जरी कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज-बेंज इंडिया सेकंड हैंड कारों के लिए एक नया ब्रांड पेश करने पर विचार कर रही है। कंपनी अपना यह नया ब्रांड इस साल तक बाजार में पेश कर सकती है।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एमबीआई) के निदेशक (बिक्री एवं मार्केटिंग) देवाशीष मित्रा का कहना है, ‘एक संस्थान के रूप में हम तेजी से इस बारे में सोच रहे हैं और यह हमारी फेहरिस्त में सबसे ऊपर है।’ उनका यह भी कहना है कि भारत में पुरानी कार का बाजार अभी बहुत संगठित नहीं है और कारें आमतौर पर डीलरों के प्रयासों के जरिये ही बेची जाती हैं।
हाल तक, एमबीआई अपने मौजूदा डीलर नेटवर्क को दुरुस्त करने पर काम कर रहे थे। एमबीआई के देश की 25 जगहों पर 13 डीलर मौजूद हैं। मित्रा का कहना है, ‘मौजूदा साझेदार सुविधाओं को बढ़ाने में और डीलरशिप के लिए नई जगहों पर लगभग 150 करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं। लगभग 45 करोड़ रुपये तो पहले ही निवेश किए जा चुके हैं और बची हुई रकम भी इस साल तक खर्च की जाएगी।’
इस 150 करोड़ रुपये की रकम में से एक हिस्सा उन नई जगहों के विकास में भी लगाया जाएगा, जहां मर्सिडीज की पुरानी कारें मिलेंगी। पूर्वी भारत में इकलौती एमबीआई डीलरशिप, इंटरक्राफ्ट्स के मुख्य कार्याधिकारी हितेश्वर सिंह का कहना है, ‘पुरानी कारों की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है, खासतौर पर उन ग्राहकों में जो मर्सिडीज खरीदना तो चाहते हैं, लेकिन उसकी कीमत से उन्हें थोड़ा परहेज है और जिनके पास पहले से ही कोई महंगी सेडान है।’
वर्ष 1995 में देश में अपनी शुरुआत के साथ से अब तक मर्सिडीज की लगभग 17,000 कारें भारतीय बाजार में बेची जा चुकी हैं। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक हाल में लगभग 25,000 मर्सिडीज कारें भारतीय सड़कों पर उतर चुकी हैं, जिनमें वे कारें भी शामिल हैं, जिन्हें विदेशों से मंगाया भी गया है।
वर्ष 2008 में लक्जरी कारों के क्षेत्र में 76 फीसदी विकास दर दर्ज की गई थी और मर्सिडीज ने पिछले साल 3,600 कारों की बिक्री के साथ 46 फीसदी की विकास दर देखी है।
