भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) 1 जनवरी से महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के मुंबई और दिल्ली क्षेत्र (सर्किल) में दूरसंचार सेवाएं शुरू करेगी। दूसरा कोई प्रभावी विकल्प नहीं होने के कारण बीएसएनएल इन दोनों सर्किलों में सेवाएं शुरू करने जा रही है।
फिलहाल दोनों सरकारी दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल वित्तीय तंगी से जूझ रही हैं। दोनों के आपस में विलय के अलावा दूरसंचार विभाग एमटीएनएल को बीएसएनएल के वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (वीएनओ) के तौर पर पेश करने पर भी विचार कर रही थी। लेकिन खबर है कि अब दोनों में से किसी विकल्प पर विचार नहीं हो रहा है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘8 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क पर बात अटकने के कारण वीएनओ शायद आगे नहीं बढ़े। दोनों दूरसंचार कंपनियों और वीएनओ से 8 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क मांगा जा रहा है। इससे दोनों कंपनियों का खर्च कम तो बिल्कुल नहीं होगा उलटे उसमें इजाफा ही होगा।’
बीएसएनएल आगामी 1 जनवरी से मुंबई और दिल्ली में एमटीएनएनएल की तरफ से दूरसंचार सेवाएं शुरू करेगी। 5-6 महीने के लिए प्रयोग के तौर पर ये सेवाएं दी जाएंगी। ये सेवाएं सफल रहीं तो बीएसएनएल इन शहरों में 4जी सेवाएं भी शुरू करेगी। जहां तक बीएसएनएल की 4जी दूरसंचार सेवा का सवाल है तो ऐसा समझा जा रहा है कि इसके लिए प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) की मंजूरी प्रधानमंत्री कार्यालय से मिल जाएगी।
पीओसी तय करता है कि उपकरण की आपूर्ति करने वाली कंपनी दूरसंचार उपकरण आपूर्ति के लिए उपयुक्त है या नहीं। यह काम 2021 के मध्य तक पूरा होने की संभावना है और उसके बाद ही दूरसंचार उपकरण मंगाने की निविदा जारी की जाएगी।
केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट से जूझ रही बीएसएनएल और एमटीएनएल के आपस में विलय का विकल्प खंगाला मगर उसे यह व्यावहारिक नहीं लगा। एमटीएनएल में सरकार की 57 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार अगर दोनों इकाइयों में सरकार की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी होती तो विलय प्रक्रिया आसानी से पूरी हो जाती। केंद्र ने घाटे में चल रही दोनों कंपनियों को पटरी पर लाने के लिए पिछले साल अक्टूबर में 68,751 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इस राहत पैकेज में 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना शामिल थे। साथ ही दोनों इकाइयों के विलय की भी बात थी। बीएसएनएल-एमटीएनएल के विलय की मंजूरी देने से पहले सरकार ने संकेत दिए थे कि विलय प्रक्रिया पूरी होने तक एमटीएनएल बीएसएनएल की सहायक इकाई के तौर पर काम करेगी।
सरकार ने इन कंपनियों की नकदी जरूरत तत्काल दूर करने के लिए सॉवरिन बॉन्ड के जरिये 15,000 रुपये जुटाने का भी प्रावधान किया था। सरकार ने दोनों कंपनियों को 20,240 करोड़ रुपये कीमत का 4जी स्पेक्ट्रम देने का प्रस्ताव भी रखा था। इसके अलावा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए 3,674 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी और रेडियो तरंगों के आवंटन पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर के लिए 3,674 करोड़ रुपये देने की भी बात कही गई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दोनों कंपनियों के 92,000 से अधिक कर्मचारियों ने वीआरएस लिया था। इनमें बीएसएनएल के 78,000 और एमटीएनएल के 14,000 कर्मचारी शामिल थे। वीआरएस से पहले बीएसएनएल में 1.5 लाख और एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी थे।
