डीएलएफ के कुछ उपभोक्ताओं ने कंपनी के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का फैसला किया है। इनमें से कई उपभोक्ता पहले ही कंपनी के पास अपने एक्जिट लेटर भेज चुके हैं।
अब वे कंपनी की शिकायत भारतीय प्रतिभूति एवं विनमय बोर्ड (सेबी) से करने की सोच रहे हैं। साथ ही, वे कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की योजना बना रहे हैं।
इन ग्राहकों ने गूगल पर एक ग्रुप बनाया है, जिसमें 935 सदस्य हैं। इनका कहना है कि इस ग्रुप में शामिल 600 सदस्यों ने प्रमोटरों को अपने एक्जिट लेटर भेज दिए हैं। इन ग्राहकों की शिकायत है कि कंपनी सौदों के कागजात पर दस्तखत करने में देरी कर रही है।
साथ ही, उनके मकानों की कीमत 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। उनकी मांग है कि जांच के लिए कंपनी चेन्नई में जमीन के असल दस्तावेज मुहैया कराए। इसके अलावा, वे कंपनी से जमीन पर मालिकाना हक के क्लॉज को भी खरीद समझौते में शामिल करवाना चाहते हैं।
इस समूह के अहम सदस्यों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, ‘हम इस मुद्दे को सेबी तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, ग्राहकों के साथ जानबूझ कर धोखाधड़ी करने पर डीएलएफ के खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज करने की योजना बना रहे हैं।’
वैसे इस बारे में आखिरी फैसला इस समूह की एक मार्च को होने वाली बैठक के बाद लिया जाएगा। इस बीच डीएलएफ सॉदर्न होम्स के महाप्रबंधक (मार्केटिंग) के. श्रीकांत ने ईमेल से जवाब में बताया कि, ‘इस परियोजना के शुरू होने के पहले कंपनी एक बिल्कुल अलग रह का समझौता करती थी, जो सिर्फ तमिलनाडु में मान्य होता था।’
