टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा के करीबी विश्वासपात्र मेहली मिस्त्री ट्रस्टी के रूप में टाटा के दो ट्रस्टों के निदेशक मंडल में शामिल हुए हैं। टाटा के इन दो ट्रस्ट – सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के पास टाटा समूह की कंपनियों की नियंत्रक कंपनी टाटा संस प्राइवेट में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
62 वर्षीय मेहली मिस्त्री, जो अपने दिवंगत चचेरे भाई साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच विवाद में फंस गए थे, करीब एक दर्जन कंपनियां चलाते हैं, जो पेंट वितरण से लेकर लॉजिस्टक्स, यात्रा और वाहन डीलरशिप तक से संबंधित हैं। टाटा ट्रस्ट में पहले से ही रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा और जेएन टाटा निदेशक के रूप में शामिल हैं।
रतन टाटा से उनकी नजदीकी के मद्देनजर मेहली को टाटा ट्रस्ट्स के निदेशक मंडल में शामिल किए जाने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही थीं। साइरस मिस्त्री ने मेहली पर टाटा पावर से ठेके लेने का आरोप लगाया था लेकिन पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।
अभी तक केंद्र सरकार के पूर्व अधिकारी विजय सिंह और वेणु श्रीनिवासन सर रतन टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के वाइस चेयरमैन हैं। ये दोनों टाटा संस के निदेशक मंडल में भी हैं। आरके कृष्ण कुमार और जहांगीर एचसी जहांगीर भी सर रतन टाटा ट्रस्ट के निदेशक मंडल में हैं।
इस साल अप्रैल में टाटा संस के शेयरधारकों ने नए आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (एओए) को मंजूरी दी थी, जिसमें भविष्य में टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के अध्यक्ष के पद को कानूनी रूप से अलग करने का प्रावधान है।
वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा हैं, जिन्होंने वर्ष 2012 तक टाटा संस के अध्यक्ष का पद भी संभाला था। एन चंद्रशेखरन टाटा संस के निदेशक मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। टाटा संस के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में बदलाव की वजह से रतन टाटा ट्रस्टों के साथ-साथ टाटा संस में भी दोनों पदों पर आसीन होने वाले अंतिम व्यक्ति होंगे।