बाजार बुनियादी आधार के मुकाबले तेजी से बढ़े हैं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:58 AM IST

बीएस बातचीत
बर्न्‍सटीन में रणनीतिकार (भारत) वेणुगोपाल गैरे ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में कहा कि मार्च 2020 के निचले स्तरों से अच्छी तेजी और महंगे मूल्यांकन के बावजूद सूचकांक प्रतिफल सीमित दायरे में रहने के साथ बाजार में गिरावट पर खरीदारी बरकरार रह सकती है, लेकिन प्रमुख सूचकांक प्रतिफल मुहैया करा रहे हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

क्या आप भारत को ‘गिरावट पर खरीदारी’ या ‘तेजी में बिकवाली’ के बाजार के तौर पर देखते हैं?
निफ्टी सूचकांक का मूल्यांकन 21 गुना पीई पर अब ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। हालांकि अल्पावधि आय पर काफी हद तक कोविड-19 का प्रभाव दिखा है और इसलिए इसे कंपनियों के लिए सही आय संभावना का कारक नहीं माना जा सकता। ज्यादातर प्रतिफल सुरक्षित क्षेत्रों पर केंद्रित रहा है और इन क्षेत्रों ने इस मौजूदा परिवेश में भी वृद्घि दर्ज की है। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), फार्मा कंपनियां, और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं। कोविड-19 से प्रभावित क्षेत्रों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है और उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर बनी हुई है जिसके बाद उद्योग और निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन रहा है। मौजूदा स्तर से बाजार में गिरावट जोखिम वाले क्षेत्रों में ज्यादा दबाव नहीं बढ़ा सकती है, इसलिए बाजार को स्वाभाविक तौर पर समर्थन मिलेगा। सूचकांक प्रतिफल के सीमित दायरे में रहने के साथ बाजार ‘गिरावट पर खरीदारी’ के दौर में बने रहने की संभावना है, लेकिन प्रमुख सूचकांक प्रतिफल दर्ज कर रहे हैं।

क्या बाजार बुनियादी आधार के मुकाबले ज्यादा तेजी से चढ़े हैं?
स्पष्ट रूप से, आज जो कह रहे हैं, वह सही है, लेकिन ये खास समय है। बााजर मूल्यांकन वित्त वर्ष 2021 में महंगा है और यह वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) दौर में दर्ज किए गए मूल्यांकन के मुकाबले भी महंगा है, लेकिन वित्त वर्ष 2022 के संबंध में उचित मूल्य पर दिख रहा है, क्योंकि वित्त वर्ष 2021 की आय से बंद और उत्पादन पर प्रभाव के साथ असामान्य अवधि का पता चलता है। अप्रैल-जून 2020 की तिमाही की -23.9 प्रतिशत जीडीपी शायद इस प्रभाव की चपेट में आने का संकेत देती है। बाजार बुनियादी आधार के मुकाबले आगे बढ़े हैं, लेकिन यह वैश्विक रुझान रहा है, क्योंकि आम सहमति यह है कि आखिरकार कोविड-19 का यह आखिरी चरण होगा। दुनिया तरलता बढ़ा रही है और इससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि यह चुनौतीपूर्ण अवधि से अच्छी तरह से निपटा जा सकेगा।
आपको कॉरपोरेट आय कोविड-19 से पहले जैसे स्तरों पर कब तक आने का अनुमान है।
आय में रिकवरी का स्तर सभी क्षेत्रों में अलग अलग होगा। आईटी, हेल्थकेयर और उपभोक्ता क्षेत्र इस साल सकारात्मक वृद्घि के दौर में हैं, जबकि वाहन जैसे अन्य क्षेत्र वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही तक सकारात्मक जोन में आ जाएंगे। हमें वित्त और उद्योग के अगले साल के शुरू से कोविड-19 पूर्व के स्तरों से भी ज्यादा मजबूत हो जाने की संभावना है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में सुधार आना शुरू हो गया है। एयरलाइंस और होटलों जैसे सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों के मामले में, हमें वित्त वर्ष 2023 तक ही हालात समाान्य हो पाने की संभावना है।

लॉकडाउन के बाद बड़ी तादाद में व्यवसाय खुल गए हैं। क्या आपको मांग भी समान रफ्तार से लौटने की उम्मीद है?
खपत मांग सभी बाजारों के लिए अलग अलग है। जहां स्टैपल्स में मांग सुधर रही है, वहीं डिस्क्रेशनरी में प्रभावित हुई है और यह धीरे धीरे सामान्य हो रही है। डिस्क्रेशनरी में कुछ सुधार रुकी हुई मांग सामने आने से भी दिखा है और इसलिए पिछले महीने सुधार की गति नरम पड़ी और कंपनियां दबी मांग कोपूरा करने के लिए अपना उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। कमजोर मांग के पीछे कुछ कंपनियों के लिए प्रमुख कारणों में से एक जीएसटी दरों में कटौती की मांग भी है।

मार्च 2020 के निचले स्तरों से आपकी निवेश रणनीति क्या रही है?
अपने बन्र्सटीन इंडिया पोर्टफोलियो में, (जो हमारे रणनीतिक नजरिये को दर्शाता है) हमने मुख्य रूप से ऊंची आय संभावना वाले पोर्टफोलियो पर जोर दिया है। हम आईटी, नई इकोनॉमी पर ज्यादा जोर दे रहे थे, जिन्हें हमने मार्च में कोविड-19 संबंधित गिरावट के दौर में शामिल किया था और दूरसंचार तथा कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स तथा वाहन क्षेत्र में कोविड-19 की अवधि में निवेश किया। वित्त अैर उद्योगों के लिए हमारा निवेश सीमित था। शुरुआती दौर के बाद, जुलाई में हमने वित्त और वाहन क्षेत्रों के लिए अपना भारांक कुछ बढ़ाया। पिछले सप्ताह हमने पोर्टफोलियो की रक्षात्मकता का स्तर बढ़ाने के लिए हेल्थकेयर शेयरों को शामिल किया।

विदेशी संस्थागत निवेशक अब भारत को किस नजरिये से देख रहे हैं?
पिछले महीने केदौरान मैंने 100 एफआईआई के साथ बातचीत की और महसूस किया कि उन्होंने भारत में निवेश बढ़ाया है। हाल के महीनों में भारत में उनके निवेश से इसका संकेत मिलता है।

First Published : September 14, 2020 | 12:20 AM IST