प्रमुख औषधि कंपनी मैनकाइंड फार्मास्युटिकल्स ने गंभीर उपचार वाली दवाओं (मधुमेह, हृदयरोग आदि) पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और इस श्रेणी से करीब 50 फीसदी राजस्व अर्जिन करने की योजना बनाई है। हाल में कंपनी ने मधुमेह की अपनी नई दवा का मानव पर पहले चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने के लिए औषधि नियामक से मंजूरी मांगी है। पशुओं पर इस दवा का क्लीनिकल परीक्षण पूरा हो चुका है।
गंभीर बीमारियों के उपचार वाली दवा पोर्टफोलियो के सीएजीआर में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जा रही है। कंपनी के कुल राजस्व में इसका योगदान फिलहाल 25 से 30 फीसदी के दायरे में है। करीब 6,500 करोड़ रुपये के कारोबार वाली निजी क्षेत्र की इस कंपनी की नजर आगामी वर्षों में गंभीर उपचार श्रेणी से करीब 50 फीसदी राजस्व अर्जित करना है।
मैनकाइंड फार्मा के निदेशक (परिचालन) अर्जुन जुनेजा ने कहा, ‘हमारे पास संक्रमणरोधी दवाओं का व्यापक आधार है लेकिन गंभीर उपचार श्रेणी में वृद्धि दर काफी अधिक है।’ उन्होंने कहा कि गंभीर उपचार श्रेणी के सीएजीआर में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जा रही है और कुल राजस्व में उसका योगदान अब 25 से 30 फीसदी के दायरे में है। उन्होंने कहा, ‘अगले तीन से चार वर्षों के दौरान हम गंभीर उपचार श्रेणी से करीब 50 फीसदी राजस्व अर्जित करने की उम्मीद करते हैं।’
कंपनी ने दिसंबर 2019 में महिला हार्मोन श्रेणी में एक उत्पाद लॉन्च किया था। इसके साथ ही कंपनी इस दवा को विकसित करने वाली भारत की पहली और दूसरी वैश्विक कंपनी बन बई। यह दवा ऐबट की डुफास्टन का जेनेरिक संस्करण है। जुनेजा ने कहा कि लॉन्च के एक साल के भीतर मैनकाइंड के इस ब्रांड का कुल कारोबार 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि इस दवा से ऐबट का कुल कारोबार करीब 400 करोड़ रुपये का है।
कंपनी गंभीर उपचार श्रेणी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ इन-लाइसेंसिंग सौदा करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है जिससे उसके पोर्टफोलियो को दम मिलेगा। इस बीच, मैनकाइंड ने अपनी नई मधुमेहरोधी दवा एमकेपी10241 पेटेंटयुक्त नए मॉलिक्यूल के मानव परीक्षण के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक डीसीजीआई से मंजूरी मांगी है।
