बुधवार से शुरू हो रहे एयरो इंडिया-2009 के आगंतुकों को इस खबर से निराशा होगी कि उन्हें देश में निर्मित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) के दर्शन नहीं हो पाएंगे।
तकनीकी दिक्कतों के चलते उच्च तकनीकी क्षमताओं से लैस इस हेलीकॉप्टर का प्रदर्शन नहीं हो पाएगा। डिजाइन की कुछ खामियों जैसे अधिक वजन और प्लेटफॉर्म निर्माण में देरी के चलते इसका प्रदर्शन अब साल भर के लिए टाल दिया गया है।
थोड़ी राहत की बात यह होगी कि सशस्त्र ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) का एक प्रोटोटाइप (नमूना), जो काले चीते के रंग में रंगा होगा, एयरो इंडिया के दौरान अपनी पहली उड़ान भरेगा।
एचएएल ने बताया कि इस एलसीएच पर मौजूद वीपन्स सिस्टम्स इंटिग्रेटेड ध्रुव (डब्ल्यूएसआई ध््राुव), जिस पर शस्त्र और सेंसर लगे होते हैं, के वजन को 250 किलोग्राम कम करने की कोशिशें हो रही हैं। इसी वजह से इस हेलीकॉप्टर का प्रदर्शन रोका जा रहा है।
एचएएल के हेलीकॉप्टर डिजाइन प्रमुख एन. शेषाद्रि ने बताया कि 6 हजार मीटर की ऊंचाई पर एलसीएच केवल 350 से 500 किलोग्राम वजन का वीपन्स पेलोड ही ढो सकता है। यदि हेलीकॉप्टर का वजन तय योजना से 250 किलोग्राम ज्यादा हुआ तो इतनी ऊंचाई पर इसकी मारक क्षमता कम हो जाएगी।
मालमू हो कि इस हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) का निर्माण एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव के मूलभूत डिजाइन पर किया गया है। फिलहाल यह एचएएल की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इसके अधिकांश कल-पुर्जे जिनमें इंजिन, राउटर आदि शामिल हैं, का परीक्षण पहले ही धु्रव में किया जा चुका है।
अभी डब्ल्यूएसआई पर लगने वाले शस्त्रों और सेंसरों को डिजाइन किया जा रहा है। चूंकि इनमें से अधिकांश का डिजाइन पहले हो चुका था तो एचएएल ने योजना बनाई थी कि एलसीएच के प्रोटोटाइप की पहली उड़ान दिसंबर 2008 में होगी।
दूसरे प्रोटोटाइप को दिसंबर 2008 तक बना लेने की योजना थी। लेकिन अब इस समय सीमा को काफी आगे बढ़ा दिया गया है। इसकी वजह यह कि तकनीकी तौर पर एलसीएच की संरचना ध्रुव से काफी ज्यादा जटिल है।
ध्रुव को जहां सामान्य कामों के लिए डिजाइन किया जाता है, वहीं एलसीएच का इस्तेमाल हमला करने में किया जाना है। इसमें शस्त्रों के लिए प्लेटफॉर्म भी होगा।
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