भारतीय जीवन बीमा निगम की इक्विटी होल्डिंग की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। सितंबर तिमाही के आखिर में टॉप 200 कंपनियों में बीमा दिग्गज के होल्डिंग 77 अरब डॉलर की थी। तब से बाजार में 12 फीसदी की उछाल आई है। यह मानते हुए कि एलआईसी की होल्डिंग में भी बाजार के हिसाब से बढ़ोतरी हुई तो उसके पोर्टफोलियो का आकार आज 86 अरब डॉलर हो सकता है, जो मार्च 2018 के पिछले रिकॉर्ड स्तर 84 अरब डॉलर से ज्यादा है। मार्च 2020 में जब बाजार काफी नीचे था तब एलआईसी की इक्विटी होल्डिंग की वैल्यू घटकर 55 अरब डॉलर रह गई थी, जो छह साल का निचला स्तर है। यह जानकारी कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के आंकड़ों से मिली। यह वैल्यू बीएसई-200 इंडेक्स में शामिल कंपनियों में एलआईसी की हिस्सेदारी की है, जहां उसकी हिस्सेदारी एक फीसदी से ज्यादा है। भारत के कुल बाजार पूंजीकरण में बीएसई-200 में शामिल कंपनियों की भागीदारी 84 फीसदी है।
2020-21 की पहली छमाही में एलआईसी की होल्डिंग की वैल्यू 40 फीसदी यानी 22 अरब डॉलर बढ़कर 77 अरब डॉलर पर पहुंच गई। यह अंतर्निहित प्रतिभूतियों की कीमत में बढ़ोतरी और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी की तरफ से और निवेश के जरिए हुई। बीएसई-200 इंडेक्स ने सितंबर 2020 में समाप्त तीन महीने में महज 9 फीसदी की बढ़त दर्ज की।
एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि बीमा कंपनी ने अप्रैल से अब तक इक्विटी बाजार में 55,000 करोड़ रुपये निवेश किया है। पिछले साल की समान अवधि में कंपनी ने बाजार में 32,800 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
हालांकि यह तय करना मुश्किल है कि एलआईसी ने शुद्ध रूप से कितना निवेश किया। उपरोक्त आंकड़े सकल आथार पर हैं। बीमा कंपनी ने तय अंतराल पर मुनाफावसूली भी की है। इस साल एलआईसी के निवेश का अनुमान स्टॉक एक्सचेंजों की तरफ से दिए गए संस्थागत ट्रेडिंग के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। तथाकथित देसी संस्थागत निवेशकों ने अप्रैल से अब तक बाजार में 63,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। हालांकि इसमें से 61,000 करोड़ रुपये म्युचुअल फंडों ने निकाले हैं। 2020-21 की पहली छमाही में देसी संस्थागत निवेशकों (एमएफ को छोड़कर) ने देसी इक्विटी में 16,400 करोड़ रुपये निवेश किया है और इसका ज्यादातर हिस्सा एलआईसी से आया है।
एलआईसी तब खरीदती है जब बाजार नीचे जाता है, वहीं मुनाफावसूली तब करती है जब बाजार का प्रदर्शन अच्छा होता है। बेंचमार्क सूचकांकों में अपने सर्वोच्च स्तर से 40 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई थी, जिसने एलआईसी के लिए आदर्श स्थिति पैदा की। हालांकि बाजार में सुधार से भी इक्विटी में तेजी आई, जिसकी वजह विदेशी निवेशकों की लगातार हुई खरीदारी है।
