भारतीय बाजार पर पकड़ बनाने के इरादे से कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी एलजी देश में अपना लर्निंग और डिजाइन केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है।
एलजी के इस लर्निंग सेंटर का पाठयक्रम दक्षिण कोरिया स्थित कंपनी के वैश्विक लर्निंग केंद्र की सहायता से तैयार किया जा चुका है।
इस केंद्र की सहायता से कर्मचारियों को इंडस्ट्रियल डिजाइन, मार्केटिंग, लाइफस्टाइल रिसर्च, इकोनॉमिक और मार्केट रिसर्च जैसे विभागों में अपना कौशल निखारने में मदद मिलेगी।
कंपनी की योजना इन क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संबधित विषय की फैकल्टी के तौर पर बुलाने की है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के प्रबंध निदेशक मून बी शिन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ”हम इस साल के अंत तक पुणे या नोएडा में एक लर्निंग केंद्र खोलेंगे।”
उनके मुताबिक, ”भारत की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। कंपनी भविष्य में अपनी सहायक कंपनियों के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षत करेगी।”
एलजी इंडिया के एचआर मामलों के निदेशक डॉ. वाई वी वर्मा ने बताया, ”किसी भी कंपनी की भविष्य की चुनौती संगठन क्षमता को मजबूत करना है। हम अपने कर्मचारियों को वैश्विक मौके मुहैया कराना चाहते हैं।” कंपनी की विभिन्न राज्यों की जरूरतों के हिसाब से उत्पादों में बदलाव और उसका डिजाइन तैयार करने की योजना है।
इसके लिए वह पर्याप्त निवेश भी करने जा रही है। इसे लक्ष्य करते हुए ही कंपनी यह प्रशिक्षण केंद्र खोल रही है। हालांकि 2009 में प्रबंधक स्तर के कर्मचारियों का पहला बैच शुरू हो सकता है। फिर धीरे-धीरे इस कोर्स का दायरा बढ़ाने की योजना कंपनी की है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक शिन ने बताया कि जो कर्मचारी बेहतर प्रदर्शन करेंगे उन्हें दूसरी सहायक कंपनियों के लिए काम करने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने संभावना जाहिर की कि अंतत: इस लर्निंग केंद्र को विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया जाएगा।
इसकी मदद से भारत को एलजी इलेक्टॉनिक्स के एशियाई कर्मचारियों के प्रशिक्षण हब में बदल दिया जाएगा। शिन के मुताबिक, ”हम चाहते हैं कि यह केंद्र एशिया की सभी सहायक कंपनियों के कर्मचारियों के प्रशिक्षण हब में तब्दील हो।”
शिन ने बताया कि एलजी भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी करने के लिए लाइफस्टाइल रिसर्च में निवेश करना जारी रखेगी।
उन्होंने बताया कि 2008 में मंदी के बावजूद कंपनी ने 2007 की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा राजस्व कमाया है। इस दौरान कंपनी का राजस्व 10,730 करोड़ रुपये रहा।
कंपनी इस दौरान 4 फीसदी का शुद्ध लाभ निकाल पाने में सक्षम रही। 2007 के 360 करोड़ की तुलना में कंपनी ने 2008 में 400 करोड़ रुपये खर्च किए।