भारत की दो सबसे बड़ी निजी बंदरगाह परिचालक – जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर (JSW Infra) और अदानी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) की निगाहें 80,000 करोड़ रुपये की बड़ी विस्तार योजनाओं पर हैं । ये दोनों आने वाले वर्षों में देश की व्यापार वृद्धि पर दांव लगा रही हैं।
जेएसडब्ल्यू इन्फ्रा की कार्गो प्रबंधन क्षमता सालाना 17 करोड़ टन है। इसका लक्ष्य वित्त वर्ष 28 तक इसे बढ़ाकर इसे 28.8 टन करना और वित्त वर्ष 30 तक 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) के साथ सालाना 40 करोड़ तक बढ़ाना है। इलारा कैपिटल का अनुमान है कि अपनी क्षमता का यह लक्ष्य हासिल करने के लिए कंपनी पूंजीगत व्यय के रूप में करीब 30,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
अनुमान है कि कंपनी की स्वीकृत परियोजनाओं से वित्त वर्ष 30 तक इसकी मौजूदा 17 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता में 8.8 करोड़ टन प्रति वर्ष की कार्गो प्रबंधन क्षमता जुड़ेगी। इसकी समीक्षाधीन परियोजनाओं से 9.3 करोड़ टन प्रति वर्ष की क्षमता जुड़ सकती है जबकि संभावित परियोजनाओं से वित्त वर्ष 30 तक 4.9 करोड़ टन प्रति वर्ष की क्षमता जुड़ने का अनुमान है।
कंपनी की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाएं ओडिशा में जटाधर पोर्ट, कर्नाटक में केनी पोर्ट और महाराष्ट्र में मुरबे पोर्ट हैं। इन तीन नई परियोजनाओं से कंपनी की कार्गो प्रबंधन क्षमता में 9.3 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता जुड़ने का अनुमान है।
केनी पोर्ट पर 4,119 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जाएगा तो जटाधर पोर्ट पर 3,000 करोड़ रुपये का। मुरबे पोर्ट परियोजना की लागत 4,259 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
कंपनी ने हाल ही में वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के अपने वित्तीय परिणामों का ऐलान किया है। उसके शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 46 प्रतिशत की उछाल आई है।
परिणामों के बाद कंपनी के पूर्ण कालिक निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी ललित सिंघवी ने कहा, ‘इनके (वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के नतीजे) और मौजूदा परिसंपत्ति आधार से लगातार बढ़ते वार्षिक नकदी के कारण हम वित्त वर्ष 30 तक या उससे पहले अपनी मौजूदा कार्गो प्रबंधन क्षमता को बढ़ाकर सालाना 40 करोड़ टन तक ले जाने की योजना पर बेहतर स्थिति में हैं।’
बुनियादी ढांचे पर सरकार के फोकस के अवसरों का लाभ उठाएगी अदाणी पोर्ट्स
अदाणी समूह के स्वामित्व वाली निजी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी बंदरगाह परिचालक अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड की मौजूदा कार्गो प्रबंधन क्षमता 62.7 करोड़ टन प्रति वर्ष है और उसका इरादा इस क्षमता को साल 2030 तक बढ़ाकर एक अरब टन करने का है। इसके लिए कंपनी का अनुमानित पूंजीगत व्यय करीब 50,000 करोड़ रुपये होगा।
इलारा कैपिटल के अनुसार कंपनी की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 30 तक बढ़कर 33 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
एपीएसईजेड के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अश्वनी गुप्ता के अनुसार कंपनी ‘भारत की विकास गाथा’ के बीच अवसरों का लाभ उठाने का इरादा बना रही है। कंपनी का मानना है कि इसमें बुनियादी ढांचे और औद्योगीकरण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
गुप्ता ने कहा कि कंपनी ने अपने कार्गो प्रबंधन प्रदर्शन को और बेहतर बनाने तथा अधिक बाजार हिस्सेदारी के लिए सीमेंट, इस्पात, ऊर्जा, खाद्य और उर्वरकों सहित प्रमुख जिंसों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी दो गुना वृद्धि जारी रखने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा, ‘भारत की विकास गाथा के ये चार प्रमुख स्तंभ (बुनियादी ढांचा, औद्योगिकीकरण, ऊर्जा और खाद्य एवं उर्वरक) 100 प्रतिशत हमसे जुड़े हुए हैं। इनकी वजह से हमें विश्वास है कि भारत में अपनी 15 रणनीतिक संपत्तियों और विदेश में चार रणनीतिक संपत्तियों के साथ हम इन अवसरों का लाभ उठाने जा रहे हैं।’