जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा क्षेत्र पर अपना नकारात्मक नजरिया बनाए रखा है और वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के बाद इस क्षेत्र के लिए रेटिंग घटाकर ‘अंडरवेट’ कर दी है। जेपी मॉर्गन का मानना है कि इस क्षेत्र के लिए संपूर्ण मांग परिवेश कमजोर बना हुआ है।
शोध फर्म का मानना है कि इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियों को वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के नतीजों के संदर्भ में निराशा हाथ लगेगी। शेयरों में, उन्होंने इन्फोसिस, टीसीएस, एम्फेसिस को अपनी ‘निगेटिव कैटलिस्ट वॉच’ में रखा है।
जेपी मॉर्गन के अंकुर रुद्र और भविक मेहता ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘भारतीय आईटी सेवा क्षेत्र ने निवेशकों को 6 महीने में दूसरी बार आईटी सेवा शॉर्ट ट्रेडिंग का अवसर मुहैया कराया। बेंगलूरु में करीब 15 उद्योग कारोबारियों के साथ बैठक के बाद उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि आईटी सेवाओं के लिए मांग परिवेश जून में कमजोर बना रहेगा।’
रुद्र और मेहता ने कहा कि रुकी हुई परियोजनाओं के फिर से शुरू होने की संभावना सीमित हो सकती है और अगले 6-9 महीनों के दौरान मांग में सुधार के संकेत कमजोर रह सकते हैं, जिससे दूसरी छमाही की वृद्धि के अनुमान और पूरे वित्त वर्ष 2024 की वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह वृद्धि सालाना आधार पर 5 प्रतिशत से नीचे रह सकती है।’
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा से सौदे हासिल करने की दर घट सकती है।’
अगले 6-9 महीनों के दौरान तेज वृद्धि की संभावना नहीं
बाजार में, निफ्टी आईटी सूचकांक ने वित्त वर्ष 2024 में अब तक कमजोर प्रदर्शन किया है और यह निफ्टी-50 में आई 8 प्रतिशत तेजी के मुकाबले महज 0.5 प्रतिशत ही चढ़ पाया है।
एसीई इक्विटी के आंकड़े से पता चलता है कि हालांकि इस सूचकांक में शामिल कुछ खास शेयरों ने 2024 में अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है। कोफोर्ज (21 प्रतिशत तक), एलऐंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज (15 प्रतिशत) और विप्रो (9 प्रतिशत) इस क्षेत्र में ज्यादा चढ़ने वाले शेयरों में शामिल रहे हैं।
जहां तक वृद्धि का सवाल है, जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का मानना है कि अगले 6-9 महीनों के दौरान तेज वृद्धि की संभावना नहीं दिख रही है।
रुद्र और मेहता ने लिखा है, ‘हमने पहली तिमाही की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए अपने अनुमानों में 1-3 प्रतिशत तक की कमी की है और दूसरी छमाही में किसी बड़े सुधार की उम्मीद नहीं है। हमने पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के लिए रेटिंग ‘न्यूट्रल’ से घटाकर ‘अंडरवेट’ की है।’