दुनिया की प्रमुख दवा निर्माता कंपनियों में से एक जॉनसन ऐंड जॉनसन भारत में शोध और विकास के लिए भारतीय दवा कंपनियों और शिक्षण संस्थानों के साथ बात कर रही है।
कंपनी मुंबई में दवा शोध और विकास केंद्र खोलने की भी योजना बना रही है। जॉनसन ऐंड जॉनसन फार्मास्यूटिकल रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट के शोध एवं विकास विभाग के ग्लोबल हेड पॉल स्टॉफेल्स ने बताया कि कंपनी दवाइयों के शोध और विकास को विभिन्न क्षेत्रों में कायम करने के पक्ष में है।
यही वजह है कि कंपनी भारत में इस तरह की पहल की तैयारी कर रही है। उन्होंने बताया कि कंपनी टाटा की ओर से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली बेंगलुरु स्थित संस्था एडविनस थेरेप्यूटिक्स के साथ इस तरह का एक समझौता पहले ही कर चुकी है।
कंपनी के मुताबिक, मुंबई के मुलुंड इलाके में एनालिटिकल ऐंड फार्मास्यूटिकल डेवलपमेंट सेंटर (एपीडीसी) खोलने की भी योजना बना रही है। यहां कंपनी लेट फेज ड्रग डेवलपमेंट पर काम करेगी, जो जॉनसन ऐंड जॉनसन की शांघाई स्थित एशिया पैसिफिक सेंटर के साथ मिलकर काम करेगी।
एशिया पैसिफिक सेंटर में प्रारंभिक स्तर पर दवाइयों के विकास का काम किया जाता है। एपीडीसी में टीबी के उपचार के लिए बिल्कुल नई दवा का विकास किया जाएगा। इस सेंटर में करीब 300 वैज्ञानिकों की भर्ती की जाएगी, जबकि इस पर 90 लाख डॉलर खर्च किया जाएगा।
‘फार्मा बाजार पर मंदी का नहीं असर’
एसोचैम ने कहा कि मंदी के बावजूद दवा बाजार की वृध्दि दर 10-12 फीसदी रहने की उम्मीद है। पीरामल लाइफ साइंसेज की उपाध्यक्ष और एसोचैम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष स्वाति पीरामल ने कहा कि फार्मा उद्योग अपनी रफ्तार होती है। यह क्षेत्र धीमी और स्थिर गति से बढ़ता है, इसलिए इस पर मंदी का बहुत अधिक असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भी बाजार की वृध्दि दर 10-20 फीसदी रहने की उम्मीद है। पीरामल ने मंदी के असर का जिक्र करते हुए कहा कि विदेश में दवा की खुराक कम होने की घटनाएं सामने आई हैं, जहां तीन टैबलेट की बजाय दो टैबलेट से काम चला रहा हैं, लेकिन भारत में ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है।
