महीनों के विलंब और मुकदमेबाजी के बाद रिलायंस जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल का अधिग्रहण करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मंजूरी हासिल कर ली है। एनसीएलटी के मुंबई पीठ ने सोमवार को जियो के आवेदन पर भारतीय स्टेट बैंक के खाते में 3,720 करोड़ रुपये की समाधान राशि जमा करने की अनुमति दी। जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल के अधिग्रहण को पूरा करने के लिए 6 नवंबर को एक एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने का प्रस्ताव दिया था।
यह आदेश जियो के 20 अक्टूबर के आवेदन के जवाब में पारित किया गया था और दिवाला अदालत की मंजूरी का मतलब है कि जियो अंततः रिलायंस इन्फ्राटेल के टावर और फाइबर कारोबार का अधिग्रहण पूरा कर सकती है। इन्फ्राटेल के पास देश भर में फैले 1.78 लाख रूट किलोमीटर और 43,540 मोबाइल टावरों की फाइबर परिसंपत्ति है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी दो सहायक कंपनियों के खिलाफ दिवाला कार्यवाही मई 2019 में नए सिरे से शुरू हुई थी। मार्च 2020 में लेनदारों की समिति ने आरकॉम और उसकी दो सहायक कंपनियों के लिए रिलायंस जियो और यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (यूएवीआरसीएल) द्वारा प्रस्तुत समाधान योजनाओं को मंजूरी दी थी।
जहां रिलायंस इन्फ्राटेल (जिसमें टावर और ऑप्टिक फाइबर परिसंपत्तियां हैं) के लिए जहां जियो पसंदीदा बोलीदाता थी, वहीं यूएवीआरसीएल की बोली आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम के लिए चुनी गई, जिसके पास स्पेक्ट्रम है।
दिसंबर 2020 में एनसीएलटी ने रिलायंस इन्फ्राटेल की समाधान योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन इसके कार्यान्वयन को विभिन्न कारणों से अड़चनों का सामना करना पड़ा, जिसमें फॉरेंसिक ऑडिट के बाद आरकॉम के कुछ खातों को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करना शामिल है। बकाया राशि के समाधान के वितरण से संबंधित विवादों के कारण भी देरी हुई। अक्टूबर में जियो ने कहा था कि अंतर लेनदार विवादों के लंबित होने के कारण योजना के कार्यान्वयन में और देरी हुई तथा इससे इन्फ्राटेल की परिसंपत्ति के मूल्य में गिरावट का खतरा पैदा हो गया।
रिलायंस इन्फ्राटेल दरअसल दिवाला समाधान प्रक्रिया का सामना कर रही है। उद्योगपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली जियो ने नवंबर, 2019 में अपने छोटे भाई अनिल अंबानी के प्रबंधन वाली कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस की कर्ज में डूबी अनुषंगी की टावर और फाइबर संपत्तियां हासिल करने के लिए 3,720 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने जियो की समाधान योजना को चार मार्च, 2020 को शत प्रतिशत मत के साथ मंजूरी दे दी थी।
