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‘मोबाइल बनाने में चीन से आगे निकलेंगे’

Last Updated- December 14, 2022 | 8:14 PM IST

आईटी एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारत की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करेगी और इससे देश को मोबाइल विनिर्माण केंद्र के रूप में अपना स्थान बनाने में मदद मिलेगी।
उद्योग संगठन फिक्की की सालाना आम बैठक में प्रसाद ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बने। अब मैं इस बात पर जोर दे रहा हूं कि भारत, चीन से आगे निकल सके। यह मेरा मकसद है और मैं इसे बहुत साफतौर पर परिभाषित कर रहा हूं।’  
उन्होंनेकहा कि सरकार भारत को अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों जैसे लैपटॉप और टैबलेट का केंद्र बनाने व अन्य क्षेत्रों में भी इसका विस्तार करने पर भी विचार कर रही है। उन्होंने संकेत दिया कि इस योजना को लैपटॉप और टैबलेट बनाने तक भी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि अब यह रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं।
नैशनल पॉलिसी आन इलेक्ट्रॉनिक्स (एनपीई), 2019 में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का कारोबार 2025 तक 26 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है, जिसमें से 13 लाख करोड़ रुपये मोबाइल फोन सेग्मेंट से ही होगा।
प्रसाद ने कहा, ‘पीएलआई प्रमुख वैश्विक कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित कने व भारत की कंपनियों को राष्ट्रीय चैंपियन बनाने के मकसद से तैयार की गई है।’ सरकार ने पीएलआई योजना शुरू की है, जिसके तहत कंपनियों को करीब 48,000 करोड़ रुपये की छूट मिल सकती है।
सरकार ने पीएलआई योजना के तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इन कंपनियों में आई फोन विनिर्माता ऐपल की कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकान हॉन हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन के अलावा सैमसंग और राइजिंग स्टार शामिल हैं। घरेलू कंपयिनों लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडगेट इलेक्ट्रॉनिक्स (डिक्सन टेक्नोलॉजिज), यूटीएल नियोलांस और ऑप्टिमस शामिल हैं।

First Published - December 14, 2020 | 11:27 PM IST

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