राम गोपाल वर्मा के शागिर्द रहे पटकथा लेखक निर्देशक श्रीनिवास राघवन ने कुछ अर्सा पहले विकास स्वरूप से मुलाकात की थी। वजह, यही कि वह उनकी किताब ‘क्यू ऐंड ए’ पर फिल्म बनाना चाहते थे।
लेकिन, बात नहीं बन पाई। खैर, चैनल फॉर और स्वरूप के बीच बात बन गई। फिल्म के निर्देशन के लिए जब डैनी बॉयल से संपर्क किया गया, तब शुरू में उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। धूम मचाने वाला ‘जय हो’ गीत असल में किसी दूसरी फिल्म के लिए लिखा गया था, लेकिन इसकी नियति तो कुछ और ही थी।
खैर, इस ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के ऊपर श्रीमद्भागवतगीता की ‘जो होता है, अच्छे के लिए होता है’ वाली बात अक्षरश: सही बैठती है।
शानदार इबारत
आज, जब इस फिल्म ने फिल्मों के ‘नोबेल पुरस्कार’ ऑस्कर में अपनी सफलता का परचम लहरा दिया, तब तक इसके साथ जुड़े लोग एक यादगार फिल्म का हिस्सा बन चुके थे। हॉलीवुड के लिहाज से बेहद कम बजट वाली इस फिल्म ने न केवल टिकट खिड़की पर कामयाबी हासिल की है, बल्कि समीक्षकों समेत सभी फिल्म समारोहों में लगभग क्लीन स्वीप कर दिया।
भारत में इस फिल्म की सफलता को लेकर जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन एक तबका इस जश्न पर सवाल भी उठा रहा है। इन लोगों का कहना है कि फिल्म भले ही भारतीय कहानी पर आधारित हो और इससे कुछ भारतीय फनकार जुड़े भी हों, लेकिन असल में तो यह हॉलीवुड की फिल्म है।
निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक और सिनेमैटोग्राफर सभी तो अंग्रेज हैं। दूसरी बात यह कि कुछ नामचीन लोग फिल्म पर आरोप लगाते रहे कि इसमें भारत की गरीबी को बहुत बुरे अंदाज में पेश किया गया है। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन समेत कई सितारे इस बात को लेकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं।
दूसरी बात जहां तक फिल्म के भारतीय होने की है तो इसके पक्ष में बोलने वाले लोग कहते हैं कि फिल्म की कहानी भारतीय परिवेश पर आधारित है, सह निर्देशक लवलीन टंडन भारतीय हैं, कलाकार भारतीय हैं, संगीतकार, गीतकार और साउंड मिक्सिंग करने वाले रसूल पोकुट्टी भारतीय हैं और सबसे बड़ी बात रुमानियत, रोमांस और नाटकीयता के अलावा इसमें वह सब मसाला है जो बॉलीवुडिया फिल्म में देखने को मिलते हैं।
कैसे मुकम्मल हुआ ख्वाब
फिल्म बनाने के दौरान मुश्किलें भी कम नहीं आईं। जब साइमन ब्यूफॉय ने फिल्म की पटकथा तैयार की तब निर्देशन के लिए डैनी बॉयल से संपर्क किया गया, जो इससे पहले ‘टेन स्पोर्टिंग’ और ‘शैलो ग्रेव’ जैसी कम बजट की बेहतरीन फिल्में बना चुके थे।
शुरू में वह तैयार नहीं हुए लेकिन ब्यूफॉय की पटकथा और उनके साथ काम करने की चाह ने उनका फैसला बदल दिया। फिर बात, फिल्म के लिए कलाकारों के चयन की आई तो इसकी जिम्मेदारी लवलीन टंडन को दी गई। लवलीन ने यह काम बखूबी किया और बदले में उन्हें फिल्म का सह निर्देशक बना दिया गया।
उन्होंने गुजारिश की, कि फिल्म के 10 फीसदी संवाद हिंदी में हों, जिसको मान भी लिया गया। अनिल कपूर की भूमिका पहले शाहरुख को ऑफर की गई थी लेकिन उनके मना करने के बाद भूमिका अनिल कपूर के खाते में चली गई।
जैसा कि अनिल कपूर खुद कहते हैं कि उन्होंने इससे पहले डैनी बॉयल का नाम नहीं सुना था, और उन्होंने अपने बेटे के कहने पर यह फिल्म साइन की। अनिल कपूर ने इस खास भूमिका के लिए ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के निर्देशक सिद्धार्थ बसु के साथ जमकर रिहर्सल की।
इससे पहले अनिल, दक्षिण के निर्देशक शंकर की फिल्म ‘नायक’ में टीवी पत्रकार की भूमिका निभा चुके थे, तब उन्होंने प्रणय रॉय, प्रभु चावला और रजत शर्मा जैसे दिग्गज पत्रकारों के साथ कुछ समय बिताया था।
जहां तक संगीतकार अल्लाह रक्खा रहमान की बात है तो शेखर कपूर ने लंदन में डैनी बॉयल से उनकी मुलाकात कराई और फिल्म का ज्यादातर संगीत लंदन में ही कंपोज किया गया।
वैसे, गुलजार ने ‘जय हो’ गीत सुभाष घई की ‘युवराज’ के लिए लिखा था, लेकिन घई को ये शब्द नहीं भाए। और अब जो हुआ वह शानदार इतिहास का हिस्सा बन चुका है। गुलजार, देश के पहले गीतकार बन गए हैं जिनके खाते में ऑस्कर अवॉर्ड है। जय हो।
81वें आस्कर पुरस्कार जीतने वालों की सूची
स्लमडॉग मिलियनेयर को आठ अवॉर्ड
सर्वश्रेष्ठ फिल्म: स्लमडॉग मिलियनेयर
सर्वश्रेष्ठ संगीत : ए आर रहमान और गुलजार
सर्वश्रेष्ठ मौलिक संगीत:
ए. आर. रहमान
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: डैनी बॉयल
सर्वश्रेष्ठ संपादन: क्रिस डेकेन्स
सर्वश्रेष्ठ ध्वनि मिश्रण: रेसूल पोकट्टी इयान टैप और रिचर्ड प्राइके
सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी:
ऐंटनी डॉड मैंटल
सर्वश्रेष्ठ रूपांतरित पटकथा:
साइमन बॉफॉय
अन्य ऑस्कर विजेता
सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री: स्माइल पिंकी
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: सीन पेन (मिल्क)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: केट विंसलेट (द रीडर)
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता: हीथ लेजर (डार्क नाइट)
सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म: डिपार्चर्स
सर्वश्रेष्ठ मौलिक पटकथा: डस्टिन लैंस ब्लैक (मिल्क)