आर्थिक मंदी की वजह से कंपनियों का बजट लड़खड़ाने से एग्जीक्यूटिव शिक्षा काफी हद तक प्रभावित हुई है।
एग्जीक्यूटिव शिक्षा ऐसी शिक्षा है जिसका खर्च आम छात्रों की बजाय संगठनों को उठाना होता है। हालांकि प्रबंधन शिक्षा के लिए किसी कंपनी द्वारा प्रायोजित छात्रों की तादाद में 20 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन इन एग्जीक्यूटिव के लिए प्लेसमेंट दो वर्षीय पोस्ट-ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) छात्रों की तुलना में अभी तक अच्छा ही रहा है।
आईआईएम-कलकत्ता (आईआईएम-सी) में जहां पीजीपी छात्रों के लिए इस साल औसतन घरेलू वेतन में 23 फीसदी की गिरावट आई है वहीं एग्जीक्यूटिव शिक्षा के छात्रों के लिए इसमें 11 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। एग्जीक्यूटिव शिक्षा के छात्रों के लिए पिछले साल घरेलू वेतन पैकेज 20 लाख रुपये था जो इस साल घट कर 18 लाख रुपये रह गया है।
हालांकि सर्वाधिक घरेलू वेतन में तेज गिरावट के बाद यह पिछले साल के 45 लाख रुपये से घट कर 35 लाख रुपये रह गया है। बैच के लगभग 60 फीसदी स्नातक आईटी-आईटीईएस क्षेत्र से थे।
आईआईएम-सी के चेयरमैन (प्लेसमेंट) प्रफुल अग्निहोत्री ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि पीजीपीईएक्स प्लेसमेंट में नौकरी की पेशकश ने छात्रों को अपने पुराने कार्य अनुभव का लाभ उठाने का मौका दिया है।’
दूसरी तरफ आईआईएम-सी में दो वर्षीय पीजीपी छात्रों ने अपने औसतन घरेलू वेतन पैकेज में पिछले साल की तुलना में लगभग 23 फीसदी की गिरावट देखी है। औसतन घरेलू वेतन पैकेज इस साल 12.7 लाख रुपये सालाना था वहीं सर्वाधिक ऑफर 60 लाख रुपये सालाना था।
आश्चर्यजनक बात यह है कि आईआईएम-सी उन कुछ प्रमुख संस्थानों में शुमार है जो एग्जीक्यूटिव के लिए अपनी प्लेसमेंट प्रक्रिया को पूरा करने में सफल रहे हैं। प्लेसमेंट प्रक्रिया से नजदीकी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आईआईएम-लखनऊ, आईआईएम-अहमदाबाद और एक्सएलआरआई जमशेदपुर में प्लेसमेंट सत्र की अवधि बढ़ा दी गई है और यह अभी भी चल रहा है।