Categories: आईटी

…अब आईटी को नहीं भा रहा परदेस

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 11:57 PM IST

मंदी के चलते भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है।
पहले जहां अमेरिका के लिए वीजा हासिल करने में कंपनियां पूरी जोर लगा देती थीं, वहीं पिछले पांच सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूनाइटेड स्टेट सिटीजनशिप ऐंड इमीग्रशन सर्विसेस (यूएससीआईएस) के वित्त वर्ष 2010 के लिए एच-1बी वीजा आवेदन स्वीकार करने की तिथि की घोषणा के बाद भी आवेदनों के टोटे पड़े हैं।
अब तक विभाग के पास एच-1बी के लिए मात्र 42,000 आवेदन ही आएं हैं, जबकि कुल कोटा 65,000 हजार है। यानी, तय कोटा का अभी तक सिर्फ 65 फीसदी आवेदन दायर किए गए हैं। पिछले साल की बात करें, तो एच-1बी वीजा प्राप्त करने की स्थिति ठीक उलटी थी।
पिछले साल एच-1 बी वीजा के आवदेन की तिथि घोषित होने के पहले दिन ही निर्धारित कोटा पूरा हो गया था। वित्त वर्ष 2009 के लिए पिछले साल पांच दिन की अवधि में यूएससीआईएस के पास 1,31,800 आवेदन जमा हुए थे। इस बाबत एजेंसी का कहना है कि जब तक वित्त वर्ष 2010 के लिए निर्धारित कोटा पूरा नहीं हो जाता, तब तक वह आवेदन लेना जारी रखेगी।
एच-1 बी के प्रति रुझान में कमी कारण अमेरिकी बाजर में मंदी और भारतीय आईटी कंपनियों की विदेशों में काम करने बजाय, उसे देश में लाकर करने में बढ़ती दिलचस्पी है। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि एक ओर जहां इससे पूर्व के वर्षों में पहले दिन ही आवदनों की भरमार हो जाती थी, वहीं इस साल आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया इस साल जून तक जारी रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में ऐसे ही हालत बन पड़े थे, जब यह प्रक्रि या 1 अक्टूबर तक चली थी। एच-1बी केआवेदन को लेकर देखी जा रही सुस्ती को लेक र अमेरिका स्थित विधि कंपनी साइरस डी मेहता ऐंड एसोसिएट के एटॉर्नी एट लॉ के साइरस डी. मेहता ने कहा कि इस साल स्थितियां पहले की तरह नहीं दिखाई दे रही हैं, क्योंकि 1 अप्रैल से एच-1बी के लिए आवेदन सत्र के शुरू हो जाने के बाद भी कंपनियां ज्यादा उत्साहित नहीं लग रही हैं।
पिछले साल के मुकाबले कंपनियों में एच-1 बी वीजा को लेकर उत्साह घटकर करीब आधा रह गया है।’ इससे पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में विप्रो के कॉर्पोरेट उपाध्यक्ष (एचआर) प्रतीक कुमार ने कहा था कि एच-1 बी वीजा के लिए आवदेन करने में अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है।
बकौल कुमार एक एच-1 बी वीजा का शुल्क करीब 3,000 डॉलर के बैठता है। पिछले साल विप्रो ने 2,500-3,000 एच-1बी वीजा प्राप्त किया था, जिस पर कंपनी को करीब 48 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। उन्होंने कहा कि इस बार की स्थिति को देखते हुए कंपनी की ओर से पिछले साल की तुलना में कम संख्या में एच-1 बी वीजा लेने का निर्णय किया गया है।
कुमार ने कहा कि विप्रो ही नहीं, बल्कि अन्य कंपनियां भी वीजा को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रही हैं और काफी सोच-विचार के बाद ही इसके लिए आवेदन कर रही हैं। हालांकि एच-1 बीजा के लिए आवेदन में देखी जा रही सुस्ती के प्रति एक और महत्वपूर्ण कारण बाताया जा रहा है।
इस बाबत टेक महिन्द्रा के एल. के. भाटिया कहते हैं कि एच-1 बी वीजा का संबंध सीधे तौर पर कारोबार से है और अगर अमेरिका में कारोबार की संभावनाएं घटती हैं, तो निश्चित तौर पर एच-1बी वीजा पर भी इसका असर पड़ेगा। हैक्सावेयर के सीपीओ दीपेंद्र का कहना है कि कंपनियां एच-1 बी वीजा के लिए आवेदन भविष्य में कारोबार को ध्यान में रखकर करती हैं।
निर्धारित कोटा 65,000, जबकि आवेदन मिले 42,000
पिछले साल आवेदन खुलने के पहले ही दिन पूरा हो गया था कोटा
मंदी की वजह से कंपनियां वीजा लेने से कर रहीं परहेज

First Published : April 11, 2009 | 3:33 PM IST