Categories: आईटी

नए नियमों से कराधान का बोझ नहीं

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:53 AM IST

गूगल, फेसबुक और ट्िवटर जैसी डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति का मतलब यह नहीं है कि उनका भारत में स्थायी ठिकाना है। लेकिन यदि उनका स्थानीय कार्यालय कारोबारी गतिविधियों को संचालित करता है और विदेशी मूल कंपनी के राजस्व में योगदान करता है तो उस पर घरेलू कर देयता होगी। राजस्व विभाग के लोगों ने यह बात कही। 

विदेशी प्रौद्योगिकी कंपनियों एवं अन्य लोगों द्वारा सरकार के नए आईटी आदेश पर के कर निहितार्थ पर कानूनी सलाह लिए जाने के मद्देनजर यह बात सामने आई है। उन्हें भारत से मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत अधिकारी को नियुक्त करना आवश्यक है। इन फर्मों को डर है कि इस प्रकार की नियुक्ति करने पर 25 से 40 फीसदी के दायरे में आयकर लग सकता है।

एक व्यक्ति ने कहा, ‘शिकायत अधिकारी या नोडल अधिकारी के रूप में और वह भी सरकार के निर्देशों के अनुपालन में भौतिक उपस्थिति दर्ज करने का मतलब किसी व्यावसायिक संबंध अथवा स्थानीय ठिकाना नहीं होगा।’ देश में स्थानीय कार्यालय होने के बावजूद विभिन्न कर ढांचे के तहत परिचालन करने के कारण उनकी पूरी आय कर के दायरे में नहीं आती है। हालांकि वे अपने विज्ञापन राजस्व और डिजिटल लेनदेन पर 6 फीसदी की समान लेवी का भुगतान करते हैं।

ऐसी किसी भी नियुक्ति को कर के संदर्भ में सहायक की श्रेणी में रखा जाता है जहां नियुक्तियां नियामकीय उद्देश्यों से की जाती हैं। इसका कंपनी के प्रमुख कारोबार से तब तक कोई लेना-देना नहीं है जब तक कोई आय अर्जित करने का कार्य न कर रहा हो। एक वरिष्ठ राजस्व अधिकारी ने कहा कि इसलिए ऐसे में इसे किसी स्थायी ठिकाने के तौर पर नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि वे कर्मचारियों के साथ अपना कार्यालय खोलते हैं और पूरी तरह से परिचालन करते हैं तो करधान का जोखिम भी पैदा होता है।

घरेलू कानून के लिहाज से स्थायी ठिकाने को भारतीय आयकर अधिनियम के तहत कारोबार के एक निश्चित स्थान के रूप में परिभाषित किया गया है जहां एंटरप्राइज का पूरा अथवा आंशिक तौर पर कारोबार हो रहा हो। यह भारतीय कंपनी और उसकी विदेशी मूल कंपनी के बीच कारोबारी संबंध को दर्शाता है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कर विभाग आयकर अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय कराधान के वैश्विक मानक एवं हस्तांतरण मूल्य निर्धारण नियमों का सख्ती से अनुपालन करता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुसार, किसी नोडल अधिकारी की नियुक्ति अलग कानून का मुद्दा है। यदि यह इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के कराधान को प्रभावित करता है तो यह व्यक्तिगत मामलों के तथ्योंं पर निर्भर करेगा।

विशेष तौर पर स्थायी ठिकाने के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय काराधान संबंधी नियम बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है क्योंकि इन नियमों के तहत आमतौर पर उन देशों में मुनाफे पर कर लगाया जाता है जहां उन्होंने मूल्य सृजित किया है। हालांकि आर्थिक सहयोग एवं वकास संगठन (ओईसीडी) के आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण जैसे उपायों का भारत सहित तमाम देशों का समर्थन मिला है।

इस सप्ताह के आरंभ में जी7 देशों के वित्त मंत्रियों ने वैश्विक स्तर पर न्यूनतम कॉरपोरेट दर 15 फीसदी और देश में बिक्री के आधार पर मुनाफे पर कराधान के लिए सहमति जताई थी जो ओईसीडी की कार्ययोजना के अनुरूप है। भारत के नए आईटी नियम इसी साल मई के मध्य में लागू हुए हैं और इसके जरिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामग्रियों को विनियमित करना है।

First Published : July 8, 2021 | 11:17 PM IST