पिछले महीने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार विवादों में आ गए थे। यह बखेड़ा तब खड़ा हुआ जब विमल इलाइची के एक विज्ञापन में वह अन्य दो फिल्म अभिनेता अजय देवगन और शाहरुख खान के साथ दिखाई दिए थे। पान मसाले की आड़ में इलायची, पर्ल और केसर का विज्ञापन लंबे समय से होता आया है। देश में इन उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध है। अक्षय ने स्वयं कुछ वर्षों पहले सार्वजनिक तौर पर कहा था कि फिल्मी सितारों एवं मशहूर हस्तियों को सरोगेट या छद्म विज्ञापन से दूर रहना चाहिए था। मगर उनका स्वयं अपनी बात से पलटना काफी हैरान करने वाला था। विमल इलाइची के विज्ञापन में दिखने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अक्षय पर तल्ख टिप्पणियां कीं। अमिताभ बच्चन और रणवीर सिंह पिछले वर्ष टेलीविजन पर एक पान मसाला ब्रांड में एक साथ दिखे थे। अमिताभ बच्चन की भी सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी। बाद में बच्चन ने पान मसाला ब्रांड के साथ अपना अनुबंध तोड़ दिया।
शुक्रवार को सरकार ने छद्म विज्ञापनों के संबंध में एक निर्णायक कदम उठाया और इन पर प्रतिबंध लगा दिया। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने कहा कि विज्ञापनों में उपभोक्ताओं की गहरी दिलचस्पी होती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए प्रावधान मौजूद हैं। इन प्रावधानों को और अधिक सशक्त एवं स्पष्ट बनाने के लिए सरकार ने विज्ञापनों के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें छद्म विज्ञापनों पर रोक लगाना भी शामिल है।
नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जिन विज्ञापनों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जाता है जिन पर कानूनी प्रतिबंध है तो ऐसे विज्ञापन छदम विज्ञापन माने जाएंगे। इसके अलावा प्रतिबंध ब्रांड, लोगो, ढांचे और प्रस्तुतीकरण से जुड़े विज्ञापन भी छद्म विज्ञान के दायरे में आएंगे। विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है मगर यह भी कहा है कि इन दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करना होगा तभी जाकर भ्रामक विज्ञापनों पर पूरी तरह अंकुश लग पाएगा। विज्ञापन एजेंसी रीडिफ्यूजन के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल कहते हैं कि नियम-कायदे होने के बावजूद छद्म विज्ञापनों पर अंकुश नहीं लग पाया था। द केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन , अधिनियम 1995 में सिगरेट, तंबाकू उत्पाद, शराब, अल्कोहल, मदिरा और मादक वस्तुओं के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर रोक है। मगर टेलीविजन पर अल्कोहल और तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के विज्ञापन दिख जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए नए दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करना होगा।
विज्ञापन अनुपालन विशेषज्ञ एवं भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की पूर्व महासचिव श्वेता पुरंदरे कहती हैं कि केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम में दिशानिर्देश स्पष्ट नहीं हैं इसलिए विज्ञापन के लिहाज से प्रतिबंधित उत्पादों का प्रचार-प्रसार टेलीविजन एवं अन्य माध्यमों से आराम से होता है। पुरंदरे कहती हैं, ‘अल्कोहल और तंबाकू ब्रांडों ने नियमों में खुशियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया है। इसी वजह से बोतलबंद पानी, संगीत, सोडा की आड़ में वे शराब एवं अन्य प्रतिबंधित उत्पादों का विज्ञापन करते हैं। सोशल मीडिया पर निगरानी रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि ये ब्रांड अपने ट्विटर हैंडल और इंस्टाग्राम पेज की मदद से सीधे लोगों तक पहुंच जाते है। इसके साथ इन ब्रांडों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन पर भी लगाम लगाने की जरूरत है।’
एएससीआई पहले भी शराब के छह विज्ञापनों पर रोक लगा चुकी है और विज्ञापन संहिता के हिस्से के तौर पर छद्म विज्ञापन के लिए मानकों में भी संशोधन कर चुका है। मगर इनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित नहीं हो पाया है।
बाजार शोध कंपनी आईएमसी के अनुसार 2021 में भारत में पान मसाले का कारोबार 41,821 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था। फिल्म अभिनेत्री एवं मशहूर हस्तियों द्वारा इनके विज्ञापन से यह कारोबार काफी चमका रहा था। आईएमएआरसी का कहना है कि वर्ष 2027 तक इनका बाजार 53,081 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है क्योंकि पान मसालों के ब्रांड लोकप्रिय चेहरों से विज्ञापन करा रहे हैं। साइडवेज कंसल्टिंग के संस्थापक अभिजित अवस्थी कहते हैं, ‘देश में तंबाकू एवं अल्कोहल उत्पादन वाजिब तौर पर बनाए जाते हैं और सरकार इन पर कर भी लगाती है। अगर इन उत्पादों के सीधे विज्ञापन पर रोक नहीं लगाई होती तो छद्म विज्ञान का विषय कभी नहीं उठता।’
हालांकि कुछ विशेषज्ञ विज्ञापन व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर भी ध्यान दिलाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अल्कोहल एवं तंबाकू जैसी प्रतिबंधित श्रेणियों के लिए नियम की जरूरत है। सरकार भी इस विचार सहमत दिखती है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह ने कहा कि इन दिशानिर्देशों का मकसद किसी भी तरह के भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाना है। इनमें छद्म विज्ञापन भी शामिल हैं। इसके अलावा इन दिशानिर्देशों में उपभोक्ता एवं उपभोक्ता संगठनों को ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की भी अधिकार दिया गया है। सलाहकार कंपनी टीआरए रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी एन चंद्रमौलि कहते हैं कि छद्म विज्ञापन उचित नहीं ठहराए जा सकते। उन्होंने कहा, ‘छद्म विज्ञापन के लिए कोई बहाना नहीं दिया जा सकता। ये विज्ञापन इसलिए गलत हैं कि विज्ञापनदाता अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।’फिलहाल कुमार, देवगन और खान का जुबां केसरी विज्ञापन राष्ट्रीय टेलीविजन पर नहीं दिख रहा है मगर रजनीगंधा और राज निवास पान मसाले के विज्ञापन जरूर देखे जा सकते हैं। ऑल सीजन व्हिस्की के लिए छद्म विज्ञापन ऑल सीजंस क्लब सोडा में संजय दत्त भी लगातार दिख रहे हैं। जाहिर है, छदम विज्ञापनों के खिलाफ लड़ाई अभी पूरी नहीं हुई है।