जब प्रमुख भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के प्लेसमेंट और वेतन पैकेज पर आर्थिक मंदी की छाया मंडराती देखी गई तो यह माना गया कि दूसरे दर्जे के प्रबंधन संस्थानों के लिए भी हालात इससे अलग नहीं रहेंगे।
लेकिन इन संस्थानों के लिए हालात बिल्कुल अलग दिख रहे हैं। ज्यादातर बिजनेस स्कूल प्लेसमेंट को लेकर सफल रहे हैं और अपने पूरे बैच के लिए नौकरी दिलाने में कामयाब हुए हैं। शत प्रतिशत प्लेसमेंट के बाद जमनालाल बजाज इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (जेबीआईएमएस) के 112 छात्र अब अपने ऑफर लेटर का इंतजार कर रहे हैं।
जेबीआईएमएस के एक प्रमुख अधिकारी ने कहा, ‘एफएमसीजी, कंसल्टिंग और अन्य पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, फार्मा, निर्माण जैसे आकर्षक क्षेत्रों की कंपनियों ने भी प्लेसमेंट के लिए कैम्पस का दौरा किया।
इस साल निवेश बैंकों ने प्लेसमेंट में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कई छात्रों ने सुरक्षा कारणों की वजह से नौकरी के लिए अंतरराष्ट्रीय ऑफर ठुकरा दिए हैं। परिसर का दौरा करने वाली कंपनियों में फाइजर, टेस्को, ब्रिटानिया, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, कोका-कोला, प्रॉक्टर ऐंड गैम्बल आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।’
मुद्रा इंस्टीटयूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद (एमआईसीए) के 115 छात्रों को नौकरी दी गई है। इस संस्थान में पिछले साल की तुलना में इस बार बड़ी तादाद में कंपनियों ने दौरा किया। संस्थान द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक फाइनल प्लेसमेंट सप्ताह के समापन के बाद भी कंपनियों को आमंत्रित किया गया है।
प्लेसमेंट के लिए ऑनलाइन मीडिया और फार्मा जैसे नए क्षेत्रों की 31 कंपनियों ने इस बार एमआईसीए का दौरा किया और इनमें से प्रत्येक कंपनी द्वारा छात्रों को नौकरी मुहैया कराए जाने की दर 2.74 ऑफर प्रति कंपनी रही।
एसपी जैन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट रिसर्च ने पोस्ट-ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (पीजीडीएम) पाठयक्रम के 164 छात्रों के बैच के लिए 119 कंपनियों से 183 ऑफर मिले। इन छात्रों के लिए की गई वेतन की पेशकश औसतन 10 लाख रुपये सालाना है। इस बार के प्लेसमेंट पर 33 फीसदी ऑफरों के जरिये वित्तीय क्षेत्र का दबदबा बना रहा।
इसके बाद एफएमसीजी, दूरसंचार और आईटी जैसे पारंपरिक क्षेत्रों की भागीदारी कुल ऑफरों में 29 फीसदी की रही। वहीं कंसल्टिंग कंपनियों की भागीदारी 15 फीसदी और फार्मा, शिक्षा, सार्वजनिक उद्यम, नियामक संस्थाओं, बाजार शोध आदि जैसे नए क्षेत्रों की भागीदारी 23 फीसदी की है।
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आईआईएफटी) के प्लेसमेंट सत्र में 38 कंपनियों ने पहली बार शिरकत की। कुल मिला कर इस बार 70 से अधिक कंपनियों ने इस संस्थान का दौरा किया।
पहली बार इस संस्थान का दौरा करने वाली कंपनियों में उषा इंटरनैशनल, एपी मोलर मर्स्क, फिनो एनालिटिक्स, दाराशॉ, मित्सु ऐंड कंपनी, मर्क, केयर रेटिंग्स, सीमेंस और बर्टलिंग ग्लोबल प्रमुख रूप से शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रमुख इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) ने अप्रैल के पहले सप्ताह तक अपने सिर्फ 57 छात्रों की नौकरी दिलाने में सफलता हासिल की है।
ऐसा कहा गया है कि यह संस्थान अपने छात्रों के लिए उपयुक्त नौकरियों की तलाश जारी रखेगा। हालांकि ज्यादातर गैर-आईआईएम ने पिछले साल से अपने औसतन वेतन में कमी दर्ज की है। इन संस्थानों के छात्रों ने 6-10 लाख रुपये की रेंज में औसतन वेतन पर सहमति जता दी है।
उदाहरण के लिए, आईआईएफटी ने अपने औसतन वेतन में इस साल 19 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की है। पिछले साल इसके छात्रों के लिए औसतन वेतन पैकेज 10 लाख रुपये का था, लेकिन इस बार यह लगभग 8 लाख रुपये है। इस साल जो सबसे अधिक वेतन दिया गया है वह 19 लाख रुपये का है।
मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीटयूट, गुड़गांव में भी पिछले साल की तुलना में इस बार सर्वाधिक घरेलू वेतन पैकेज में इजाफा देखा गया है। वहीं औसतन वेतन में पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह गोवा इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (जीआईएम) में जहां सर्वाधिक सालाना वेतन पैकेज में 3 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया गया है वहीं औसतन वेतन पिछले साल के मुकाबले 16 फीसदी तक कम हुआ है।